दलित परिवार को शमशान में शव के साथ सोने को दलितों ने किया मजबूर, सवर्णो ने करी मदद
तेलंगाना: कोथागुडेम जिले के एक गाँव में दलितों ने अपने ही समुदाय के एक परिवार का बहिष्कार कर दिया, जिसके बाद लोगों ने परिवार को शव के साथ अंतिम संस्कार स्थल पर पूरी रात बिताने के लिए भी मजबूर किया।
यह अमानवीय कृत्य येल्लंदू ग्रामीण मंडल के विजयलक्ष्मी नगर ग्राम पंचायत में हुआ है। पीड़ित परिवार ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने से शनाम वेणु गोपाल (57) की मौत हो गई थी जो हैदराबाद में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करता था।
गोपाल के परिवार के लोग उसका शव उनके पैतृक गाँव ले आए जहाँ वे उसका अंतिम संस्कार करना चाहते थे। लेकिन उनके समुदाय के बुजुर्गों और सदस्यों ने अंतिम संस्कार करने के लिए परिवार को गांव में प्रवेश करने से रोक दिया।
जिसके बाद शोक संतप्त परिवार को सहारा पल्ले प्रगति कार्यक्रम के तहत बनाए गए एक खाद बनाने वाले गड्ढे में शरण लेना पड़ गया। मृतक के बेटे शनम ने आगे बताया कि “हमारे परिवार के सभी सदस्यों को ठंड के मौसम में पूरी रात बितानी पड़ती थी, ठंड के मौसम में, बिना भोजन और पानी के”।
उनके अनुसार, बहिष्कार का कारण यह था कि उनका परिवार समुदाय और उसके बुजुर्गों को प्रतिवर्ष दी जाने वाली प्रथागत धनराशि का भुगतान करने में असफल रहा। जैसा कि परिवार 10 साल पहले आजीविका की तलाश में हैदराबाद आया था, उन्होंने समुदाय के साथ संपर्क बनाए नहीं रखा था। हर वर्ष राशि न दिए जाने पर यह देखते हुए कि हम एक शव का अंतिम संस्कार शमशान में करना चाहते है तो उन्होंने गाँव पहुंचने पर परिवार का बहिष्कार कर दिया। वहीं गाँव से भी बाहर खदेड़ दिया गया।
साथ ही मृतक ने बताया कि उसके पिता का शव गांव लाया गया था ताकि उनके दोस्त और परिवार के सदस्य उन्हें अंतिम सम्मान दे सकें।
ऊँची जाति ने दिया पीड़ित दलित परिवार का साथ
अपने ही समाज से पैसो को लेकर बहिस्कृत किये जाने पर ऊँची जाति के लोगो ने पीड़ित परिवार को अंतिम संस्कार करने में मदद प्रदान करी। स्थानीय सरपंच पुनीम कविता और एमपीटीसी पुनेम सुरेंदर ने समुदाय के बुजुर्गों को समझाने की कोशिश की कि गोपाल के अंतिम संस्कार को उनके परिवार द्वारा शांतिपूर्वक आयोजित किया जाए, लेकिन दलित समाज के लोग नहीं माने।
गाँव के अन्य समुदायों ने भी शोक संतप्त परिवार के प्रति दलित बुजुर्गों के दृष्टिकोण पर आपत्ति जताई। जिसके बाद अन्य समुदाय के सभी लोगो ने मिलकर मृतक के अंतिम संस्कार से पहले और बाद में स्नान करने के लिए पीने के पानी, चाय, नाश्ते और पानी के टैंकर की व्यवस्था की। जिसके कारण परिवार को काफी राहत पहुंची।
वहीं गोपाल के एक रिश्तेदार, शनाम ज्योति ने अधिकारियों से दलित समुदाय के बुजुर्गों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया। सरपंच कविता ने भी समुदाय के बुजुर्गों के प्रति उदासीन रवैये पर दुख व्यक्त किया।
खबर लिखे जाने तक पीड़ित परिवार को दलितों ने गाँव में घुसने नहीं दिया था।
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