Falana Report

केंद्र सरकार ने मीणा को एसटी मानने से किया इंकार, कहा मीणा व मीना अलग

राजस्थान में अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत सम्मिलित होने को लेकर ‘मीणा’ – ‘मीना’ का विवाद फिर एक बार सुर्ख़ियों में है। ऐसा इसलिए क्यूंकि केंद्रीय जनजाति विकास मंत्रालय ने राजस्थान में ‘मीणा’ की जगह ‘मीना’ को ST के अंतर्गत स्थान दिया है।

केंद्र ने राज्यसभा से सांसद किरोड़ीलाल मीणा द्वारा उठाये सवाल का लिखित उत्तर देते हुए मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति मानने से इंकार कर दिया है, इसकी जगह ‘मीना’ को मानने के लिए कहा है। मंत्रालय ने लिखित जवाब देते हुए साफ़ शब्दों में लिखा है की राजस्थान में ST लिस्ट में ‘मीना’ जाति 9वें नंबर पर तो वहीं ‘मीणा’ समुदाय ST के अंतर्गत नहीं आता।

राज्य सभा से सांसद किरोड़ी लाला मीणा ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा था कि “क्या राजस्थान में मीणा-मीना एक ही जाति है? तथा इस संबंध में 2015 से राज्य सरकार द्वारा केंद्र को भेजे गए पत्रों के ब्योरे सहित केंद्र सरकार की ओर भेजे गए स्पष्टीकरण क्या हैं ? क्या राज्य ने केंद्र सरकार से इस बारे में स्पष्टीकरण जारी करने की विनती की है? यदि हाँ! तो केंद्र सर्कार का कब तक संशोधन करने का विचार है ?

मीणा की जगह मीना ST सूची में
केंद्र ने राज्यसभा से सांसद किरोड़ीलाल मीणा द्वारा उठाये सवाल का लिखित उत्तर देते हुए मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति मानने से इंकार कर दिया है, इसकी जगह ‘मीना’ को मानने के लिए कहा है।

मंत्रालय ने लिखित जवाब देते हुए साफ़ शब्दों में लिखा है की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश संशोधित अधिनियम-1976 के तहत ‘मीना’ जाति राजस्थान की एसटी लिस्ट में क्रम संख्या-9 पर सूचीबद्ध है। ​सूची के हिंदी अनुवाद में अंग्रेजी का हिंदी अनुवाद ‘मीना’ ही लिखा है और ‘मीणा’ जाति राजस्थान की अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नहीं है। जनजाति विकास मंत्रालय के मुताबिक इसपर राजस्थान सरकार को सूचित करते हुए जनजाति विकास मंत्रालय ने राजस्थान की अनुसूचित जाति की सूची में संशोधन करने के लिए मौजूदा नियमों के तहत विस्तृत प्रस्ताव भेजने को कहा है। जिसपर राजस्थान सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है।

पहले भी विवाद के घेरे में था मीणा-मीना समुदाय
केंद्रीय जनजाति मंत्रालय ने 2013 में एक आरटीआई का जवाब देते हुए मीणा जाति को एसटी मानने से इनकार कर दिया था। राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्य पीठ ने 2014 सुगनलाल भील की याचिका पर आदेश दिया था की मीणा जाति को एसटी को मिलने वाले किसी भी लाभ का फ़ायदा नहीं उठा सकती, जिसपर मुख्य सचिव को आदेश का पालन करने को भी कहा गया था। बाद में मीणा समाज के आंदोलित होने पर सरकार ने उक्त आदेश को वापस ले लिया था जिसको लेकर याचिका कोर्ट में आज भी लंबित है।

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