19 महिलाओं का रेप कर खाने वाले सुरेंद्र कोली को 12 वें मामले में भी फांसी, दलित व अछूत कह हो चूका है फांसी का विरोध
गाज़ियाबाद: देश के बहुचर्चित निठारी कांड को आज कौन नहीं जानता। दुनिया भर को हिला देने वाले इस कृत्य के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को CBI कोर्ट ने लगातार 12 वें मामले में भी फांसी की सजा सुनाई है। भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट के विशेष न्यायधीश अमितवीर सिंह ने साथ ही आरोपी पर 1 लाख 10 हज़ार का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने कुल 80 पन्नो में अपना फैसला सुनाया है जिसे इस बार सुरेंद्र कोली ने खुद लड़ा था। उसने कोई भी वकील लेने से मना कर दिया था। फांसी की सजा सुने जाने पर भी सुरेंद्र कोली के चेहरे पर कोई शिकन नजर नहीं आई।
नोएडा में 14 साल पहले देश-दुनिया को हिलाकर रख देने वाले निठारी कांड में जांच एजेंसी सीबीआई ने कुल 19 मामले दर्ज किए थे। इनमें से 12 मामलों में निठारी के नरपिशाच को कोर्ट फांसी की सजा चुना चुकी है। हालांकि सीबीआई विशेष कोर्ट के एक फैसले को पलटते हुए हाईकोर्ट ने उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। निठारी कांड से संबंधित तीन मामले ऐसे भी हैं, जिनमें कोई सबूत न मिलने से यह मामले अब राज ही रह गए हैं। सीबीआई इन मामलों में क्लोजर रिपोर्ट विशेष कोर्ट में दाखिल कर चुकी है।
क्या था निठारी कांड
2006 के आखिर में हुए निठारी कांड ने पूरे देश को सहमा दिया था। कई महीनों से नोएडा में बच्चे और महिलाएं गायब हो रही थीं। 29 दिसंबर, 2006 को पुलिस ने नोएडा के निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर नाम के शख्स के घर पर छापा मारा। छापे में मोनिंदर के घर के पिछवाड़े से करीब 19 लाशों के कंकाल मिले। इतनी बड़ी संख्या में एक घर से नरकंकाल मिलने से हर कोई हैरान था।
निठारी कांड का पहला अंदेशा पंढेर के पड़ोसियों को ही हुआ था। दो लोग जिनकी बेटियां गुम गईं थीं, उन्हें पंढेर के नौकर सुरेंद्र कोली के वारदात में शामिल होने पर शक हुआ। उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस के पास भी की. लेकिन पुलिस से उन्हें खास सहयोग नहीं मिला।
बाद में उन्होंने रेसीडेंट्स वेलफेयर के सदस्यों की मदद से पंढेर के घर की टंकी की तलाशी ली। एक रहवासी के दावे के मुताबिक उन्हें इसमें एक सड़ा हुआ हाथ भी मिला। पुलिस के सामने कोली ने मर्डर की वारदात कबूल की। इसके बाद ने पंढेर के घर की खुदाई की गई। करीब 15 खोपड़ियां और कई हड्डियां मिलीं, बाद में डीएनए मैचिंग से पता चला वहां करीब 19 लोगों को गाड़ा गया था।
लड़कियों को लाकर बेहोश कर करता था रेप, फिर शरीर को टुकड़ो में काट कर नाले में बहा देता था
आरोपी पहले लड़कियों को काम दिलाने या अपरहण कर अपनी मालिक की कोठी डी 5 में लाकर उसके साथ बलात्कार करता था। जिसमे पहले मोनिंदर सिंह पंढेर को भी आरोपी बनाया गया था लेकिन उसके बाद सबूतों के अभाव में उसे कई मामलो में रिहा कर दिया गया है।
शवों को खाने के भी लगे थे आरोप
न सिर्फ सुरेंद्र लड़कियों के साथ बलात्कार करता था बल्कि उनके शवों को भी खाता था। कई रिपोर्ट में इसके जिक्र मिल चुके है कि सुरेंद्र लड़कियों को सेक्स व चखने के लिए मारा करता था।
दलित होने की वजह से कई लोग आये समर्थन में
सुरेंद्र कोली के दलित होने के बाद कई लोग उसके समर्थन में आ गए थे। कई बड़े बड़े लेखकों ने उसे दलित होने की वजह से फसाये जाने की वकालत की। वहीं दलित व पिछड़ा होने की वजह से उसे फांसी पर न लटकाये जाने की भी वकालत की है । ऐसी ही PTI व AFP के साथ काम कर चुकी एन जयाराम भी है जिन्होंने सुरेंद्र की जाति लिख उन्हें बचाने का प्रयास भी किया है। उन्होंने अपने लेख Is India preparing to hang an innocent ‘untouchable’? में अछूत होने के चलते फांसी पर लटकाने की बाते कही है। वहीं इंडिया रेसिस्ट नाम से चलने वाले संगठन ने भी सुरेंद्र के दलित होने की वजह से उन्हें फसाये जाने की बाते कही है। साथ ही कई दलित संगठनों ने फांसी का विरोध भी किया है।
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