सोशल डब्बा

मुसलमानों में जटिल जातिवाद, TOI में छपवाया सिर्फ उच्च जाति की दुल्हन चाहिए

नई दिल्ली: हिन्दू धर्म में जातियों पर अक्सर टिप्पणी करने वाले मुस्लिम समाज के लोग खुद किस प्रकार से जातिवाद से पीड़ित है उसका जीता जागता उदहारण टाइम्स ऑफ़ इंडिया के छपे मैट्रिमोनियल पेज पर दिखा। ट्वीटर पर सबसे पहले इसे स्वराज मैगज़ीन की संपादक स्वाति शर्मा ने शेयर किया जो देखते ही देखते वायरल हो गया।

स्वाति ने ट्वीट शेयर कहा कि “कितनी विडंबना है कि सबसे अधिक उच्च जाति की दुल्हन चाहने की मांग मुस्लिम समाज की श्रेणी में पाई जाती है ” । स्वाति के इस ट्वीट के बाद मुस्लिम समाज में पनपे जातिवाद पर बहस शुरू हो गयी है।

जहां ऑस्ट्रेलिया में रह रहे एक शख्स ने MTech की पढाई करने के बावजूद उच्च जाति की मुस्लिम लड़कियों से शादी करने के लिए विज्ञापन दिया हुआ है। वहीं बंगलुरु में कार्य कर रहे एक इंजीनियर ने भी सीधे तौर पर उच्च जाति की लड़कियों को संपर्क करने के लिए कहा है।


सोशल मीडिया पर लोगो ने उठाये इस जातिवाद पर प्रश्न
मुस्लिम समाज से ही आने वाले एक सोशल मीडिया यूजर फरहान ने इस पोस्ट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि “एक ही शफ में खड़े हो गए”; और मस्जिद से बाहर आके अप्पर कास्ट हो गए !”


वहीं एक अन्य यूजर ने तंज कस्ते हुए लिखा कि आप उर्दू अख़बार को पढ़िए आपको पता चल जायेगा कि इस्लाम कितना जातिविहीन धर्म है।

मुस्लिम समाज में जातियां कैसे आई
दरअसल अरब मुसलमानो से दक्षिण एशिया के मुस्लमान बेहद अलग है। मुगल शासको के आने के बाद इन्होने कई हिन्दुओ का जबरन धर्म परिवर्तन करा दिया था।

धर्म परिवर्तन तो हो गया लेकिन इनमे जातियां रह गयी और जातिवाद मुसलमान समाज में बढ़ता चला गया। मुसलमानो में अशरफ व अजलफ़ दो समुदायों में बटा हुआ है।

अशरफ कहने वाले खुद को अरब, पर्शियन व तुर्की के वंसज बताते है व खुद को उच्च जाति में भी रखते है। जिसमे पठान, शेख, मुग़ल व सईद आते है।

इसके उल्ट हिन्दू धर्म से आने वाले सभी परिवर्तित लोगो को अजलफ़ में डाल दिया गया जिन्हे मुसलमान समाज छोटी जाति का समझती है व इनसे रोटी बेटी का रिश्ता भी नहीं रखती है।

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