चुनावी पेंच

‘BSP सरकार में SC-ST एक्ट के नाम पर हज़ारों ब्राह्मणों पर फ़र्ज़ी केस लिखे गए थे’: सपा नेता

लखनऊ (UP): अब ब्राह्मणों को लेकर सपा बसपा एक दूसरे पर अपमान करने का आरोप लगा रहे हैं।

देश के सबसे बड़े सूबे उत्तरप्रदेश में अभी से ही चुनावों की खुशबू आने लगी है। भले ही सूबे में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन राजनीतिक दलों के लिए गाली बन चुके ब्राह्मणवाद के खातिर अब पार्टियां नए नए ब्राह्मण कॉर्ड खेल रही हैं। इसका ताजा कारण ये है कि सपा के परशुराम मूर्ति की घोषणा के बाद बसपा ने परशुराम अस्पताल बनाने की घोषणा कर दी है। इसके बाद सपा नेता व प्रवक्ताओं ने बहन जी को लेकर पलटवार शुरू कर दिए हैं।

सपा की महिला नेता रोली तिवारी मिश्रा ने तो बसपा सुप्रीमो पर उनके राज में ब्राह्मणों पर फर्जी एट्रोसिटी एक्ट में फंसाने की पोल खोली। सपा नेता रोली ने बयान में कहा कि “बहन मायावती ने SC-ST एक्ट के नाम पर हज़ारों ब्राह्मणों पर फ़र्ज़ी मुकदमें आपकी सरकार में लिखे गए उनके बारे में क्या कहना है आपका ?”

आगे रोली ने बसपा के विवादित नारे को लेकर कहा कि “तिलक तराजू और तलवार में सबसे पहला जूता तिलक में मारा था आपने। जब आप मंच पर सिंहासन पर बैठती हैं बुज़ुर्ग हो रहे सतीश चंद्र मिश्राजी सदैव खड़े रहते हैं।”

रोली के अलावा अन्य सपा प्रवक्ता व उत्तरप्रदेश सरकार के पूर्व वन राज्य मंत्री पवन पाण्डेय ने भी बसपा को आड़े हाथों लिया। पवन ने कहा कि “तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार” का नारा देने वाली पार्टी की बहन जी को आज ब्राह्मणों की याद आ रही है, वे ब्राह्मणों के सम्मान की बात कर रही हैं, लेकिन परशुराम के बंशजो ने मन बना लिया है कि अब कृष्ण के वंशजों के साथ रहेंगे।”

अखिलेश को अपने राज में परशुराम मूर्ति लगवानी चाहिए: 

दरअसल रविवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सपा व अखिलेश यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि “उन्हें अपने कार्यकाल में ही परशुराम की प्रतिमा लगवा लेनी चाहिए थी। लेकिन चुनाव आने से पहले समाजवादी पार्टी ब्राह्मण वोटों के खातिर मूर्ति लगाने की बात कह रही है, जिससे पता चलता है कि सपा की हालत प्रदेश में कितनी खराब है।”

बसपा सुप्रीमो ने आज घोषणा में कहा कि “सत्ता में वापसी करने पर बसपा परशुराम के नाम पर अस्पताल व साधु-संतों के ठहरने के लिए स्थल बनवाएगी।”

आगे मायावती ने कहा कि “ब्राह्मण समाज को बसपा पर पूरा भरोसा है, जैसा कि हमने उन्हें उचित प्रतिनिधित्व दिया है। बसपा समाजवादी पार्टी की तरह कहती नहीं है, बल्कि करके दिखाती है। हमारी पार्टी हर समाज, जाति, धर्म के संतों, महापुरषों को पूरा सम्मान देती है।”

अंत में उन्होंने सपा पर तीखा निशाना साधते हुए कहा कि “BSP सरकार ने महान संतों के नाम पर कई जनहित योजनाएं शुरू की थीं और जिलों के नाम रखे थे, लेकिन जातिवादी मानसिकता और द्वेष की भावना से सपा ने इन्हें बदल दिया। लेकिन 2022 में बसपा सरकार बनने पर इन्हें फिर बहाल किया जाएगा।

सपा में एक ओर बाबरी दूसरी ओर परशुराम: भाजपा 

भाजपा ने सपा के परशुराम मूर्ति लगाने की योजना को लेकर समाजवादी पार्टी पर तगड़ा निशाना साधा है। बीजेपी नेता लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा, “हमें लखनऊ में भगवान परशुराम की मूर्ति स्थापित करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन समाजवादी पार्टी की मंशा पर हमें आपत्ति है। एक तरफ उनके सांसद कहते हैं कि बाबरी थी और हमेशा एक मस्जिद होगी जबकि दूसरी तरफ वे भगवान परशुराम के बारे में बात करते हैं। ब्राह्मण भाजपा राज से नाखुश नहीं हैं।”


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