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पुजारी जी भिक्षा मांग करते थे दो वक़्त की रोटी का जुगाड़, भिखारी ब्राह्मण बोल लोग अपमानित कर भगा देते थे

करौली: करौली में राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी बाबूलाल वैष्णव जी को जिन्दा जलाये जाने से जहां पुरे देश में रोष है तो वहीं पुजारी की गरीबी को जान कर भी आप हैरान रह जायेंगे। पुजारी बाबूलाल जी के परिवार का हाल जानने के लिए हमारी टीम ने आस पड़ोस के लोगो व खुद पीड़ित के परिजनों से ही उनका हाल जानना चाहा।

घटना से पहले पुजारी व उनके परिवार को अपना पेट भरने के लिए भी दर दर भटकना पड़ता था। गाँव वालो के अनुसार पुजारी स्वयं दो वक़्त की रोटी के लिए भिक्षा माँगा करते थे। वहीं उनके परिवार के रिस्तेदार नरसी शर्मा जी ने बताया कि जब पुजारी जी पुरे दिन घर घर जाकर अनाज माँगा करते थे तब जाकर रात का खाना बन पाता था।

पुजारी जी जिस दिन बीमार हो जाते तब खुद उनकी पत्नी गाँव गाँव जाके भिक्षा मांगती थी। कई बार ऐसा भी होता था कि परिवार को भूखे पेट भी सोने पर मजबूर होना पड़ता था। ज्ञात होकि पुजारी जी की 6 पुत्रिया व एक बेटा है। बेटे की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहती है। जिस कारण से उनका पूरा परिवार पुजारी पर निर्भर था।

वहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी पुजारी का पूरा परिवार बेहद पिछड़ा हुआ है। उनके परिवार में जो व्यक्ति सबसे अधिक शिक्षित है वह उनकी सबसे छोटी पुत्री है। जोकि सिर्फ कक्षा 7 तक ही पढ़ी है। वहीं पुजारी के घर में कोई भी सरकारी योजना का लाभ आज तक नहीं पहुंच पाया है।

झोपडी में रहती थी महिलाये, खेत में सोने को मजबूर थे बाबूलाल वैष्णव जी
बात करने पर हमें मालूम पड़ा कि पुजारी जी एक झोपड़ीनुमा घर में रहने को मजबूर थे जिसमे एक भी कमरा नहीं है। जिस कारण पुजारी को खेतो में अकसर सोने जाना पड़ता था।

शव के साथ बैठा पीड़ित परिवार

पुजारी के घर को देख कर कोई भी उनकी दयनीय स्थिति का अंदाजा लगा सकता है। वहीं परिजनों ने बताया कि सरकार उन्हें बेहद शक्तिशाली वर्ग का मानती है इसलिए पढाई लिखाई से लेकर आवास देने में उनसे भेदभाव करती आई है।

बाबूलाल जी की झोपडी

झोपडी में रहकर गुजारा करने वाले पुजारी जी को मंदिर की ओर से ज़मीन उपलब्ध कराई गयी थी जिसपर आदिवासी वर्ग से आने वाले दबंगो ने उन्हें जिन्दा जला डाला था जहां अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था।

पुजारी जी ने वो सहा जो समाज नहीं जानता
पुजारी जी ने समाज व अपनी आर्थिक स्थिति के कारण वो सब सहा था जो आज भी कोई नहीं जानता। मीणा बहुल गाँव में पुजारी को कई बार लोग भिक्षा मांगने पर दुत्कार कर भगा दिया करते थे। कई बार उन्हें भिखारी बोल कर अपमानित किया जाता था।

उनकी दयनीय आर्थिक स्थिति के कारण भी उन्हें खेतो में सोने को मजबूर होना पड़ता था। घर में एक भी कमरा नहीं होने के कारण महिलाओं को अपने वस्त्र तक बदलने में दिक्कत आया करती थी। वहीं ब्राह्मणो के प्रति बढ़ रहे द्वेष से भी पुजारी जी अछूते नहीं थे जिस कारण बड़ी बर्बरता से उन्हें तेल छिड़क कर जला दिया गया था।

मदद को आगे आये कई हाथ
घटना के बाद पुजारी जी के समर्थन में कई लोग मदद को आगे भी आये है। जिसमें सबसे बड़ा नाम बीजेपी नेता कपिल मिश्रा जी का है।

कपिल मिश्रा जी ने 24 घटने के अंदर ही क्राउड फंडिंग द्वारा पुजारी के समर्थन में 25 लाख 10 हज़ार रुपय जोड़ डाले। वहीं उनके आवास को लेकर भी कार्य कर रहे है। इसके अतिरिक्त सरकार की ओर से भी 10 लाख की आर्थिक सहायता दी जा रही है।

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