चुनावी पेंच

सपा, बसपा के बाद भाजपा भी ब्राह्मणों को लुभाने में जुटी, लखनऊ में किया विद्वत समाज सम्मेलन

लखनऊ: जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) निकट आ रहे हैं, तमाम राजनितिक पार्टियां चुनावी तैयारी में लग गयी हैं।

इसी क्रम में ब्राह्मण मतदाताओं (Brahmin Voters) को लुभाने के लिए बसपा प्रदेश भर में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन कर रही है। तो वहीं सपा के नेतृत्व ने भी अपने ब्राह्मण नेताओं को सम्मलेन और समारोह करने में लगा दिया है। समाजवादी पार्टी के ब्राह्मण नेता संतोष पांडे और उनकी टीम पिछले साल से ही परशुराम की मूर्ति लगवाने के काम में जुटी है।

अब भाजपा भी इसी तर्ज़ में ब्राह्मणों को अपना बनाने के लिए तैयारियों में जुट गयी है। भाजपा के बड़े ब्राह्मण नेताओं ने लखनऊ के चौधरी चरण सिंह सहकारिता सभागार में विद्वत समाज सम्मेलन एवं अभिनंदन समारोह का आयोजन किया। हालाँकि इस कार्यक्रम को गैर राजनीतिक करार दिया गया। किन्तु समारोह में सारी बातें राजनितिक ही हुईं।

कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहें। वहीँ कार्यक्रम के संयोजक उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री वीरेंद्र तिवारी साथ ही कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा मौजूद रहे।

बतौर मुख्य अतिथि राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि समाज के विकास के लिए जाति व क्षेत्र की संकीर्ण मानसिकता को पीछे छोड़ना होगा। सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का संकल्प भी लेना होगा। प्रबुद्धजन संस्कृति के जीवंत मूल्यों को सहेजते हुए राष्ट्र और समाज के उत्थान में सार्थक भूमिका निभाएं।

प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन स्वार्थ सिद्धि का साधन-

कलराज मिश्र ने कहा कि ने कहा कि प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन और बुद्धिजीवी सम्मेलन जैसे आकर्षक नाम देकर स्वार्थ सिद्धि को मैं समझ रहा हूं जो विद्वत समाज की आंखों में धूल झोंकने का कार्य है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीयता को उभारकर जिस तरह राष्ट्रीयता को संकुचित किया जा रहा है, उसे विद्वत समाज को ठीक करना है।

केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कार्यक्रम में कहा कि भारतीय संस्कृति और समाज के उत्थान में विद्वतजनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उनके कार्य एवं व्यवहार से सनातन जीवन मूल्यों के उच्च आदर्श परिलक्षित होने चाहिए। सनातन संस्कृति की रक्षा और प्रसार का दायित्व हजारों वर्षों से विद्वत समाज के हाथों में है।

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