UP चुनाव से पहले सपा ने बनवाया परशुराम मंदिर, विश्व का सबसे ऊँचा फरसा भी लगवाया
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी ने बड़ा ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए लखनऊ में भगवान परशुराम का मंदिर बनवाया है जिसे आज जनता के लिए खोल दिया है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के गोसाईंगज के पास स्थित महुराकलां गांव में नवनिर्मित भगवान परशुराम मंदिर में पूजा अर्चना के साथ आरती की। अखिलेश ने मंदिर में पूजा-आरती के बाद उपस्थित साधु-संतो, आचार्यों का आशीर्वाद लिया।
मंदिर परिसर में रंगीन रंगोली जहां अपनी छटा बिखेर रही थी वहीं शंखध्वनि, वेदमंत्रोच्चार और डमरूवादन से वातावरण आध्यात्मिक रंग में रंग गया था। इस अवसर पर प्रदेश के कोने-कोने से आए ब्राह्मणों के साथ आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में जनता एकत्र हुई थी।
परशुराम भगवान की जय और नमः शिवाय के नारों के बीच अखिलेश यादव ने परशुराम मंदिर में पूजा और आरती की। इस अवसर पर उनके साथ पूर्व विधानसभाध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, पूर्व मंत्री मनोज पाण्डेय, के साथ कार्यक्रम के मुख्य आयोजक संतोष पाण्डेय मौजूद थे। इनके साथ अखिलेश यादव ने 68 फिट ऊंचे भगवान परशुराम के फरसे को भी पुष्पांजलि अर्पित की तथा आरती की।
अपनी ऊंचाई से रोशनी बिखेरता फरसा सबका ध्यान आकर्षित कर रहा था। मंदिर के भव्य कार्यक्रम में जहां काशी के डमरू दल के 101 युवा डमरू ध्वनि कर रहे थे वहीं काशी, मथुरा, अयोध्या और प्रयागराज से आए साधु संतगण, मंत्रोच्चार कर रहे थे। 551 वेद पाठी ब्राह्मण अलग वैदिक मंत्रोच्चार कर रहे थे। साथ ही शंखध्वनि से वातावरण गुंजित था।
सपा नेता व पूर्व विधायक लम्भुआ संतोष पांडेय ने विशाल परिसर में स्थित मंदिर में साढ़े सात कुंतल की भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित की है। कांसे की इस मूर्ति को जयपुर के मूर्तिकारों ने बनाया है। मंदिर परिसर में पीली पताकाएं फहरा रही थी। 68 फिट का फरसा लखनऊ-कलकत्ता में बना है।
मंदिर परिसर की विशेषता
मंदिर का निर्माण करवाने वाले सपा नेता व पूर्व विधायक संतोष पांडेय का कहना है कि भगवान परशुराम की मूर्ति देश में अपनी तरह की विशेष मूर्ति है। मूर्ति परिसर में भगवान परशुराम का फरसा 68 फुट का है जोकि दुनिया में सबसे ऊंचा है।
मंदिर परिसर करीब 2.5 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर में मूर्ति काँस्य धातु की बनी हुई है और इसकी उम्र 2 हजार साल है।