मायावती ने कांग्रेस को दिखाया आईना- ‘चीन को जवाब देती रहेगी सरकार, BSP सरकार व सेना के साथ’
लखनऊ (UP): चीन मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती ने सरकार का समर्थन किया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के मुद्दे पर लोकसभा में कल बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा और भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति के लिए पूरी तरह तैयार है।
उधर चीन से मुकाबले में बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी सरकार व सेना को प्रगाढ़ समर्थन सौंपा है। आज एक बयान में मायावती ने कहा कि “चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर जारी संघर्ष, तनाव व तैनाती आदि को लेकर देश में उत्सुकता व चिन्ता स्वाभाविक है, जिसको लेकर सरकार ने संसद में कल बयान भी दिया है।”
आगे उन्होंने सरकार पर भरोसा जताते हुए कहा कि “बीएसपी को भरोसा है कि भारत सरकार देश की अपेक्षा के अनुरूप चीन को करारा जवाब देती रहेगी। बीएसपी सरकार व सेना के साथ।”
रक्षामंत्री का लोकसभा में चीन को जवाब:
राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देशों को एलएसी का सम्मान करना चाहिए। वर्ष 1993 एवं 1996 के समझौते में इस बात का जिक्र है कि LAC के पास, दोनों देश अपनी सेनाओं की संख्या कम से कम रखेंगे। भारतीय सेना ने इसे साफ तौर पर स्वीकार किया। एलएसी पर अभी भी चीन की सेना मौजूद है। अप्रैल में चीन में सीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई। मई में चीन ने घुसपैठ करने की कोशिश की और 15 जून को गलवान में चीन ने हिंसा की। राजनाथ सिंह ने कहा कि चूंकि हम मौजूदा स्थिति का बातचीत के जरिए समाधान चाहते हैं, हमने चीनी पक्ष के साथ राजनयिक और सैन्य व्यस्तता बनाए रखी है।
इन बातचीत के तीन प्रमुख सिद्धांत हैं:
i) दोनों पक्षों को LAC का सम्मान और कड़ाई से पालन करना चाहिए (ii) किसी भी पक्ष को अपनी तरफ से यथास्थिति का उल्लंघन करने का प्रयास नहीं करना चाहिए और (iii)दोनों पक्षों के बीच सभी समझौतों का पूर्णतया पालन होना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन ने सभी आर्म्ड नॉर्म्स का उल्लंघन किया है। चीनी सैनिकों का हिंसक आचरण पिछले सभी समझौतों का उल्लंघन है। मौजूदा स्थिति के अनुसार चीनी सेना ने एलएसी के अंदर बड़ी संख्या में जवानों और हथियारों को तैनात किया है और क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव के अनेक बिंदु हैं।
उन्होंने कहा कि भारत सीमा क्षेत्रों में मौजूद मुद्दों का हल शांतिपूर्ण बातचीत और समझदारी के जरिए किए जाने के प्रति प्रतिबद्ध है। इसे पाने के लिए मैंने 4 सितंबर को मॉस्को में चीनी पक्ष से मुलाकात की और इस मुद्दे पर गहराई से बात की। इस दौरान मैंने स्पष्ट तरीके से हमारी चिंताओं को चीनी पक्ष के समक्ष रखा।
उन्होंने कहा, “मैंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब हमारे सैनिकों ने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति एक जिम्मेदार रुख अपनाया था, लेकिन साथ ही भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हमारे दृढ़ संकल्प के बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए।” इसके अलावा रक्षा मंत्री ने कहा कि हमने चीन को डिप्लोमैटिक और %