पायल तड़वी केस- ‘माता-पिता मुस्लिम तो बेटी अनुसूचित जनजाति कैसे’ : वरिष्ठ पत्रकार, इंडिया टूडे
हाल ही में आये मद्रास हाई कोर्ट के फैसले में साफ़ किया गया था कि धर्म परिवर्तन करने पर आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा तो आखिर पायल तड़वी अभी भी अनुसूचित जनजाति से कैसे हुई...?
मुंबई: मुंबई की डॉक्टर पायल तड़वी की कथित आत्महत्या मामले में कुछ चौकाने वाले तथ्य हमारे हाथ लगे हैं ।
ज्ञात हो कि 22 मई को एक डॉक्टर ने जिसे कथित तौर पर अनुसूचित जनजाति का बताया जाता है उसने अपने हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली थी। जिसके बाद जातिवादी चोला उढ़ाते हुए तीन उच्च जाति से आने वाले डॉक्टर पर भेदभाव के कारण आत्महत्या के आरोप लगाए गए।
आरोप पायल तड़वी के माता पिता द्वारा लगाए जा रहे है जिसके बाद तीनो डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें पुलिस रिमांड में भेजा गया है । पायल तड़वी BYL नायर अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर थी जोकि अनुसूचित जाति से बताई जा रही है।
लेकिन उनके माँ बाप दोनों मुस्लिम है तो कैसे कोई मुस्लिम अनुसूचित जाति का हो सकता है ? लड़की की माँ आबिदा तड़वी मुश्लिम है, पिता सलीम तड़वी मुश्लिम हैं, और शोहर डॉ सलमान भी मुस्लिम हैं।
वरिष्ठ पत्रकार व इंडिया टूडे के डिप्टी एडिटर उदय महूरकर नें पायल तडवी केस में कई गंभीर प्रश्न उठाए हैं जिसके बाद सोशल मीडिया में लोग पूछ रहे हैं कि माता पिता मुस्लिम तो बेटी अनुसूचित जाति की कैसे ? श्री उदय महूरकर नें ट्वीट कर पूछा कि “एक और वेमुला ? क्या पायल सलमान तडवी, एक आदिवासी छात्रा थी जिसने आत्महत्या की, उसकी मां अबेदा ने जातिगत पूर्वाग्रह का आरोप लगाया, क्या वास्तव में वो एक आदिवासी थीं ? अकालुवा देवबंदी मदरसे के पास मसर्रत में 100 ताड़वी आदिवासी 1980 के बाद से शादी या उपदेश के माध्यम से इस्लाम में परिवर्तित हो गए थे ।”
Another Vemula? Was Payal Salman Tadvi, a tribal student who did suicide,her mother Abeda alleging caste bias, really a tribal? Near Akalkuva Deobandi Madrasa in M’rashtra 100s of Tadvi tribals converted to Islam through marriage or preaching by Deobandi proselytisers since 1980 pic.twitter.com/LwPyOUuszH
— Uday Mahurkar (@UdayMahurkar) May 29, 201
जब तड़वी के माता पिता व पति मुस्लिम थे तो लड़की अनुसूचित जाति की कैसे ? सवाल हम नहीं सोशल मीडिया पर हजारों लोग पूछ रहे हैं | जब लड़की के माता पिता के नाम सामने आये तो तथाकथित मीडिया ने पायल तड़वी को मुस्लिम जनजाति बता दिया।
वहीं ये भी कहा गया कि पायल तड़वी ने एडमिशन भी कोटे से लिया था जिसका जवाब किसी के पास नहीं है। हाल ही में आये मद्रास हाई कोर्ट के फैसले में साफ़ किया गया था कि धर्म परिवर्तन करने पर आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा तो क्या दूसरे राज्यों में कोर्ट नें ऐसी सुविधा अभी तक दे रखी है कि धर्म परिवर्तन के बाद भी आरक्षण का लाभ मिलेगा ?
उन्ही के अस्पताल में काम करने वाली डॉ स्नेहल शिंदे ने पुलिस को बताया कि पायल तड़वी के खिलाफ उन्होंने तीनो डॉक्टर द्वारा जातिगत टिप्पणी के तंज सुने थे। पुलिस में दर्ज हुई शिकायत के अनुसार डॉ स्नेहल ने बताया कि “तीनो डॉक्टर ने पायल से पूछा था कि तुम आरक्षण से आई हो न”।
क्या सिर्फ इतना पूछ लेने से यह जातिगत टिप्पणी बन गयी ? क्या उन्होंने कुछ गलत पूछा ? क्या डॉ पायल आरक्षण का लाभ नहीं लेकर आई थी ? जब लाभ लिया तो इसमें लज्जा कैसी ? ऐसे कई सवाल लगातार लोग फेसबुक व ट्विटर के माध्यम से दाग़ रहे हैं |
यह सवाल सोशल मीडिया पर हर घंटे दागे जा रहे है।
खैर मीडिया इसे केवल अपराध न दिखाकर अगड़ा बनाम पिछड़ा की लड़ाई साबित कर चुकी है हालांकि पुलिस के पास लगभग 2 हफ्तों में भी कोई ठोस सबूत नहीं मिल सका जिससे मीडिया द्वारा दिखाई गई बातें सही मान ली जाएं ? और इस केस में सिर्फ परिजनों के मौखिक बयानों पर प्रसाशन कार्रवाई भी कर रही है । हम तीनो डॉक्टर के नाम नहीं लिख रहे है परन्तु मीडिया ने आपको खुले आम हैडलाइन में तीनो का नाम बता ही दिया होगा।
फलाना दिखाना टीम की बात तीनों आरोपित डॉक्टर के परिजनों से हुई। परिजनों को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करे । उनके दिल में बेबसी साफ़ महसूस की जा सकती है।
डॉ पायल की आत्महत्या अपने आप में डराने वाली है जिसमें लोग कह रहे हैं कि केस की निष्पक्ष जांच भी होनी चाहिए। परन्तु मीडिया को अपने ट्रायल से बचना चाहिए। इससे पहले भी तलवार दंपत्ति को मीडिया ट्रायल के कारण ही बिना गलती के लम्बी जेल की सजा काटनी पड़ी थी।