आबादी के अनुपात से कहीं अधिक दोषी ठहराए गए हैं दलित आरोपी, NCRB ने दिए कई चौंकाने वाले आंकड़े
नई दिल्ली. देश की जेलों के हाल पर हर साल आने वाली NCRB की रिपोर्ट में हर राज्य से संबंधित डेटा को एकत्रित कर कैदियों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाती है। NCRB की रिपोर्ट के आधार पर कैदियों की स्थितियों का आंकलन कर कई योजनाओं को रूप दिया जाता रहा है। हाल ही में आई रिपोर्ट में जाति के आधार पर कई चौंकाने वाले आंकड़े दिए गए हैं दिए गए हैं।
आबादी के अनुपात से कहीं ज्यादा जेलों में बंद हैं दलित
आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलेगा कि कई अपराधों में अनुसूचित जाति से आने वाले अपराधियों की संख्या उनकी आबादी के अनुपात से कहीं अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार दोषी ठहराए गए इन कैदियों की संख्या वर्ष 2021 में 26643 दर्ज की गई है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से सबसे अधिक मामलों में इन कैदियों को दोषी ठहराया गया है। अनुसूचित जातियों के इन कैदियों का कुल प्रतिशत 21 प्रतिशत से अधिक है जो कि इनकी कुल आबादी के अनुपात के मुकाबले 5 प्रतिशत ज्यादा दर्ज किया गया है।
आदिवासियों के भी अधिक कैदियों को मिली सजा
कनविक्टेड कैदियों की बात करें तो आदिवासी भी अपने अनुपात के मुकाबले अधिक मामलों में दोषी ठहराए गए हैं। 8 प्रतिशत आबादी अनुपात के मुकाबले करीब 14 प्रतिशत कैदियों को दोषी ठहराया गया है। सबसे अधिक मामले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दर्ज किये गए थे।
सिख की आबादी के मुकाबले 4 गुना अधिक दोषी
NCRB की ओर से जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी अपनी आबादी के अनुरूप अधिक मामलों में दोषी ठहराए गए हैं। डेटा के मुताबिक 5537 सिख कैदियों को वर्ष 2021 में दोषी ठहराया गया था। 1.72 प्रतिशत सिख आबादी के करीब 4 प्रतिशत लोगों को कई अपराधों में दोषी ठहराया गया है। वहीं मुस्लिम समाज के 15 प्रतिशत कैदियों को दोषी ठहराया गया और हिन्दू समाज के 75 प्रतिशत लोगों को सजा दी गई हैं।