अटॉर्नी जनरल ने चंद्रशेखर रावण द्वारा जजों पर लगाए आरोपों को अपमानजनक स्वीकारते हुए भी नहीं दी अवमानना केस चलाने की सहमति
नई दिल्ली: अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भीम आर्मी प्रमुख चन्द्रशेखर रावण के खिलाफ अदालत की आपराधिक अवमानना का केस चलाने की सहमति देने से इनकार कर दिया है।
हालांकि एजी ने स्वीकार किया है कि भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने सुप्रीम कोर्ट और उसके न्यायाधीशों के खिलाफ अपमानजनक आरोप लगाए हैं।
गौरतलब है कि एडवोकेट विनीत जिंदल ने एजी के.के. वेणुगोपाल को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने भारतीय न्यायपालिका को बदनाम करने और उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए भीम आर्मी प्रमुख के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए एजी की सहमति मांगी थी।
हालांकि एजी ने स्वीकार किया कि चन्द्रशेखर के बयान में अपमानजनक आरोप हैं, हालांकि यह देखते हुए कि जनता इसे गंभीरता से नहीं लेगी, एजी ने सहमति देने से इनकार कर दिया।
एजी ने पत्र का जवाब देते हुए कहा, “मैंने चंद्रशेखर आजाद द्वारा दिए गए बयानों का वीडियो देखा है जो हिंदी में हैं। यह सच है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों पर बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं। आरोप एक सामान्य प्रकृति के हैं, और पूरी तरह से भौतिक विवरणों की कमी है। इतना ही नहीं, ऐसा लगता है कि उन्हें उकसाने के इरादे से बनाया गया है। लेकिन फिर भी, मुझे विश्वास नहीं है कि जनता का कोई भी सदस्य इस तरह के बयानों को गंभीरता से लेगा और इसलिए मेरी राय है कि ये बयान न्याय प्रशासन को प्रभावित नहीं करते हैं या जनता के दिमाग में सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार को कम नहीं करते हैं।”