दलित MLA द्वारा लगाए गए SC-ST एक्ट में गिरफ्तार पत्रकार कार्तिक पांडेय रिहा, बोले- डरने वाला नहीं हूँ
चंदौली: उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के स्थानीय पत्रकार कार्तिक पांडेय को जिला SC-ST कोर्ट से मंगलवार को जमानत मिल गयी। जिसके बाद वे आज बुधवार को जेल से अपने घर वापस आ गए।
यह जमानत कार्तिक पांडेय को 15 दिनों के बाद मिली हैं। पत्रकार कार्तिक पांडेय पर चकिया विधानसभा से विधायक शारदा प्रसाद ने जातिसूचक शब्द बोलने और बिना उनका रिव्यु लिए खबर चलाने का आरोप लगाया है।
विधायक द्वारा 24 अगस्त को पत्रकार पर SC-ST एक्ट का मुकदमा दर्ज़ करवाया गया था। जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस ने कार्तिक को गिरफ्तार कर उसी दिन जेल भेज दिया था। SC-ST कोर्ट ने मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए पत्रकार को जमानत दे दी है। 15 दिनों से जेल में बंद पत्रकार कार्तिक बुधवार को रिहा हो गए हैं।
बीते दिनों पत्रकार द्वारा वनवासियों के पक्ष में एक खबर चलायी गयी थी। जिसमे वनवासियों ने विधायक पर काम करा लेने और मजदूरी न देने का आरोप लगाया था। वीडियो के वायरल होने के बाद विधायक ने कार्तिक पांडेय और उनके सहयोगी रोहित तिवारी के खिलाफ एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया। जिसके बाद चकिया पोलिस द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
पत्रकार कार्तिक पांडेय एक बेहद ही गरीब परिवार से आते हैं। उनके पिता एक निजी स्कूल में 2000 रुपये की मास्टरी की नौकरी करते हैं। कोरोना के कारण दो साल से तन्ख्वाह भी समय समय पर नहीं मिल रही है ऊपर से बेटे को जेल हो जाने के बाद कार्तिक के माता- पिता की हालत ख़राब है। वहीं परिवार की आर्थिक तंगी को देखते हुए अधिवक्ताओं ने कार्तिक का मुकदमा निःशुल्क लड़ने का फैसला लिया है।
ब्राह्मण समाज में रोष –
पत्रकार कार्तिक पांडेय की गिरफ्तारी के बाद से ही ब्राह्मण समाज में रोष है। चकिया विधानसभा के विधायक शारदा प्रसाद द्वारा पत्रकार पर किये गये SC-ST एक्ट के मुकदमें पर ब्राह्मण समाज के लोगों ने नाराजगी व्यक्त की है। इसका उदाहरण विधायक द्वारा किया गया ब्राह्मण समाज सम्मलेन रहा। विधायक द्वारा व्यक्तिगत तौर पर एक-एक ब्राह्मण को निमंत्रण देने के बाद भी ब्राम्हण समाज से गिनती के लोग ही सम्मलेन में पहुंचे थे। पत्रकार कार्तिक के पिता ने ब्राह्मण समाज सम्मलेन में पहुंचकर विरोध प्रदर्शन भी किया था।
जेल से रिहा होने के बाद कार्तिक पांडेय ने कहा कि वे पत्रकारिता नहीं छोड़ेंगे। उनपर शासन प्रशासन की शक्तियों का दुरूपयोग किया गया है। वे शोषितों और वंचितों की आवाज उठाना जारी रखेंगे। उनपर फर्जी एट्रोसिटी एक्ट लगाया गया फिर भी वो डरेंगे नहीं।