उत्तराखंड CM ने 51 मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की घोषणा की, VHP बोली- अन्य राज्य भी करें अनुसरण
हरिद्वार: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने 51 मन्दिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री ने आज सप्तसरोवर, हरिद्वार में विश्व हिंदू परिषद के केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल के कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस दौरान उन्होंने एक महत्वपूर्ण घोषणा कर कहा कि चार धाम देवस्थानम बोर्ड के गठन के निर्णय पर समीक्षा होगी। 51 प्रमुख मंदिरों से राज्य सरकार का प्रबंध हट जाएगा।
उन्होंने महाकुंभ के मुद्दे पर कहा कि हरिद्वार कुंभ दिव्य, भव्य और सुंदर हो इसके लिए राज्य सरकार की ओर से हर संभव प्रयास किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि हरिद्वार में होने वाले अगले कुंभ के लिए वर्ष 2010 एवं 2021 कुंभ के अनुसार चिन्हित भूमि के अनुरूप ही अखाड़ों, शंकराचार्यों, महामंडलेश्वर और संत समाज के लिए अभी से भूमि चिन्हित की जाएगी। इसके लिए डिजिटल प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
गौरतलब है कि विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक हरिद्वार में आज से प्रारंभ हो गई है। जिसके बारे में प्रवक्ता ने बताया कि देशभर से आये पूज्य संत- धर्माचार्य मंदिरों की सरकारी नियंत्रण से मुक्ति, ईसाई मिशनरियों के षड्यंत्र, लव्ह जिहाद, सामा कुरीतियों का निर्मूलन ऐसे अनेक विषयों पर चिंतन करेंगे।
उधर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह के फैसले पर विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि हम इसका स्वागत करते हैं और अन्य राज्यों को भी इस फैसले का अनुसरण करना चाहिए।
VHP ने कानून बनाने की रखी थी मांग:
बता दें कि एक सप्ताह पहले ही विश्व हिंदू परिषद ने मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण और अवध धमोत्रन से मुक्ति के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तमिलनाडु चुनाव प्रस्ताव का स्वागत करते हुए मांग की थी कि देश भर के सभी मंदिरों को इस घोटाले से मुक्त किया जाए।
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि किसी भी सरकार का यह कर्तव्य नहीं है कि वह मंदिरों का संचालन करे या उनके वित्त या प्रबंधन में हस्तक्षेप करे।
विहिप नेता ने कहा कि तमिलनाडु के अलावा, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे कई राज्यों में इस वजह से हिंदू समाज में गहरी नाराजगी है। राज्य सरकारों द्वारा मंदिर की संपत्ति का दुरुपयोग, बेईमान लोगों द्वारा घुसपैठ, मंदिरों के प्रबंधन में भ्रष्ट नौकरशाहों और राजनेताओं, अतिरिक्त काम के लिए भगवान के प्रसाद का दुरुपयोग किसी से छिपा नहीं है। इसके कारण, मंदिरों की पवित्रता और वहाँ के आध्यात्मिक वातावरण को प्रदूषित करने की साजिशें स्पष्ट हैं।