सांप और ब्राह्मण मिले तो पहले ब्राह्मण मारने के तर्क देने वाले पेरियार की जयंती पर कांग्रेस ने बाटी खुशियाँ
नई दिल्ली: मुखर ब्राह्मण व हिन्दू विरोधी पेरियार की जयंती पर कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से पेरियार का गुणगान करके अपने गले में समस्याओ का अंबार लपेट लिया है। जहां एक ओर हिन्दुओ को रिझाने वाले राहुल गाँधी खुद को जनेऊ धारी ब्राह्मण बताते नहीं थकते है तो वहीं उनकी पार्टी ब्राह्मण विरोधी लोगो की जयंती का गुणगान कर रही है।
ज्ञात होकि पेरियार का जन्म 17 सितम्बर 1879 को हुआ था व शुरुआत में उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस का दामन थामा था। लेकिन बाद में ब्राह्मण विरोध की धुन में पागल पेरियार ने कांग्रेस को छोड़ कर द्रविड़ियन आंदोलन व ब्राह्मण विरोधी आंदोलनों की बरसात कर दी थी।
Founder of Self-Respect Movement & the Father of the Dravidian Movement, #Periyar was one of the strongest proponents against caste & gender inequality & discrimination. A beacon of rationalism & self-respect, he inspires countless struggles against marginalisation even today. pic.twitter.com/THmiifTJkJ
— Congress (@INCIndia) September 17, 2020
पेरियार ने तमिल नाडु में ब्राह्मणो के खिलाफ आंदोलन चलाया जिसमे जनेऊ को पैर के निचे दबाना, सूअर को पहनाना व ब्राह्मणो को सरेआम जलील करना शामिल था।
वहीं पेरियार ने अपने समर्थको से कहा था कि अगर कहीं पर आपको सांप और ब्राह्मण एक साथ मिले तो पहले ब्राह्मण को मारना सही रहेगा।
मानसिक अवसाद से जूझने वाले पेरियार किसी सभ्य इंसानियत से कोसो दूर वास करते थे। उनके तर्क अपने आप में हास्यास्पद हुआ करते थे।
महिलाओ के लिए लड़ने वाला पेरियार 40 साल छोटी लड़की से कर गया था शादी
अकसर महिलाओ के हको से जोड़ कर पेरियार को दिखाया जाता है जिसका इससे दूर दूर तक कोई ही वास्ता नहीं है। दरअसल 70 साल के पेरियार ने अपने से छोटी 40 साल की लड़की से शादी करी थी जोकि पेरियार की दूसरी शादी थी।
पेरियार के इस कदम को देखते उनकी पार्टी के कई समर्थको ने पेरियार से खुद को अलग कर लिया था। कुछ लोगो का मानना था कि पेरियार का मानसिक संतुलन सही नहीं रह गया था।
मासिक लाक्वेपन का नहीं है कोई इलाज, चलाई थी राम लीला के विरोध में रावण लीला
पेरियार ने हिन्दू विरोध की धुन में रावण लीला ही शुरू कर डाली थी। पेरियार की एक इच्छा थी कि वह तमिल नाडु में रावण लीला शुरू कर सके जहां रावण का नहीं राम का पुतला बना कर फूंका जाए। जिसको तमिल नाडु में वर्ष 1974 को मनाया भी गया था।
अब ऐसे पेरियार का समर्थन कर राहुल अपने ब्राह्मण कुल को क्या सन्देश देना चाह रहे है। शायद पार्टी सत्ता वापसी नहीं चाहती है।
Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem