40 दलित परिवार बहिष्कार करने की खबर निकली फर्जी, फूल तोड़ने नहीं झूठे SC-ST एक्ट से परेशान OBC व सवर्ण समाज ने लिया था निर्णय
उड़ीसा: उड़ीसा के ढेंकनाल जिले में 40 दलित परिवार को गाँव वालो द्वारा बहिष्कार किये जाने की खबर सोशल मीडिया पर आग की तेजी से फ़ैल गयी। खबर को बड़े बड़े दलित नेताओ द्वारा फैलाते हुए कहा जा रहा था कि उड़ीसा में सवर्णो द्वारा दलितों को बॉयकॉट करना आज भी 21 वी सदी में हो रहा है जिससे दलितों के हालातो का अंदाजा लगाया जा सकता है।
खबर के साथ दावा किया जा रहा था कि एक दलित बच्ची द्वारा बस फूल तोड़ लेने भर से करीब 800 परिवारों के कांतियो कतेनी गाँव ने 40 दलित परिवारों का बहिष्कार कर दिया है।
घटना की गंभीरता को देखते हुए हमारी टीम ने जल्द बाजी न दिखाते हुए पूरी पड़ताल करने की ठानी। गाँव के लोगो व प्रशासन से बात कर सच्चाई जानने का प्रयास किया गया। कांतियो कतेनी गाँव में सबसे पहले यह जान लेना जरुरी है कि गाँव में सवर्णो से अधिक ओबीसी समाज की भागेदारी है। इसलिए यह कहना कि सवर्णो ने बहिष्कार किया था तो यह मीडिया के एंटी सवर्ण अजेंडे का एक हिस्सा भर है।
वहीं आगे प्रशासन से बात करने पर हमने पाया कि ओबीसी व सवर्ण समाज दोनों ही दलितों से नाराज चल रहे थे। नाराजगी की वजह दर्जनों एससी एसटी एक्ट के केस व झूठे मुक़दमे में फसा देने की धमकिया शामिल थी जिसके चलते दोनों समुदायों ने परेशान हो कर दलितों से बोलना चालना बंद कर दिया था।
ओबीसी वर्ग व सवर्ण वर्ग के कई लोगो से बात करने पर मालूम चला कि इसके पीछे इनका इतना अर्थ यह था कि अगर इनका ऐसा ही रवैया रहा तो दोनों समुदाय इनसे बात करना व अन्य सम्बन्ध रखना बंद कर देंगे।
जिसको लोकल मीडिया द्वारा फूल तोड़ने की घटना से जोड़ते हुए फर्जी ढंग से इसे सवर्णो को बदनाम करने के लिए चला दिया गया। वहीं मौके पर विवाद की जानकारी लगने पर पुलिस अधीक्षक अनुपमा जैन और तहसीलदार संजय कुमार राउत ने दोनों समाजो को आपस में बैठा कर सुलह करा दी है। जिसके कारण हालत पहले जैसे ही बन गए है।
परन्तु यहाँ मीडिया के रोले पर प्रश्नचिन्ह उठना भी लाजमी है। इससे पहले बाइक छू लेने भर से दलित की पिटाई की फर्जी खबर भी इन्ही बड़े बड़े मीडिया संस्थनो द्वारा चलाई गयी थी जिसका सबसे पहला भड़ाफोड़ हमारी टीम ने ही किया था।
वहीं भदोही में दलित की पानी में डूबने से हुई मौत की घटना को उच्च जाति के लोगो द्वारा बलात्कार कर तेज़ाब से जलाने का मामला बता छापने का मामला भी अब सबके सामने आ चूका है। ऐसे में ऐसी कोई भी खबर शेयर करने से पहले जांच पड़ताल जरूर कर ले।
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