फलाना दिखाना: कौन है, क्यों है और किस लिए है
नई दिल्ली: बीते कई दिनों से हमें और हमारी टीम को चारो तरफ से जबरदस्त धमकियां व फर्जी खबरे चलाने के आरोपों के साथ ट्वीट रीट्वीट किया जा रहा है। शायद यह हमारे आगे बढ़ने का टिकट ही है जो हमें बतला रहा है कि भैया तुम्हे पढ़ा व समझा जा रहा है। मुख्य धारा की मीडिया के इतर हमने हर एक वो चीज परोसने की कोशिशे की जिसे शायद हमारा मीडिया सिरे से नकारता आ रहा था। आज हमें महसूस हो रहा है की हमें यह बताना जरुरी हो उठा है की हम कौन है, क्यों है और लिबरल्स को इतने खटकते क्यों है ।
तो चलिए पहले हम ये साफ़ कर दे की फलाना दिखाना के पीछे है कौन? दरअसल हम कुछ लड़के दिल्ली विश्विधालय के पत्रकारिता विभाग के छात्र है जिन्होंने आज से तक़रीबन 8 महीने पहले एक मीडिया पोर्टल लांच किया था जिसका नाम कुछ अटपटा ही कहिये तो ठीक रहेगा मने की ‘फलाना दिखाना’ की शुरुआत करी।
मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा ठुकराए गए चोटिल मुद्दों को उठाना ही हमारी प्राथमिकता थी इसलिए हमने ऐसे मामले छानने शुरू किये जिनपर मीडिया लेख छापने से डरता था।
धीरे धीरे हमारी खबरे फेसबुक, व्हाट्सप्प व ट्वीटर पर छाने लगी और लोगो को खबरे भाने भी लगी उनको लगने लगा की हाँ फलाने भैया कुछ नया लिख पढ़ रहे है। देखते ही देखते हमारे पाठको की संख्या 20 लाख से ऊपर हो उठी जिसमे बॉलीवुड फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री से लेकर राजनीती के गलियारों में मंत्री रहे व बीजेपी सांसद राजेंद्र शुक्ल भी शामिल है।
बढ़ती लोकप्रियता के साथ हमें अब बड़े बड़े लोगो ने अपने पाले में लाना चाहा लेकिन पत्रकारिता से अटूट प्रेम व कुछ नया परोसने का भरोसा सब पर भारी पड़ गया। यु कहिये कि जब सारा गणित फेल होने लगा तो कथाकथित लिबरल्स ने हमें धमकाना शुरू कर दिया। बाकायदा कुछ लोगो ने फर्जी अकाउंट सिर्फ इसलिए बना डाले की वह यह झूट फैला सके की यह वेबसाइट फर्जी है। जब पानी सर से ऊपर निकल गया तो हमारे वेबसाइट डेवलपर ने कहा की हमें आगे आके अपने पाठको से अपील करनी चाहिए की इनका जवाब वही दे !
लिबरल्स के ज्यादा दो पांच करने के बावजूद हमारी क्रेडिबिलिटी सबके सामने है और हम लगातार ऐसी खबरे छापते रहेंगे जो इनके प्रोपेगंडा की नीव हिला कर रख दे।
अगर आपके पास भी हमारे लायाक कोई ऐसी खबर है जिसे मीडिया टीआरपी के घर में छुपाये बैठा हो तो आप हमें लिख भेजे: Write to us