हरे कृष्णा

कुंभ की आस्था के रंग में डूबा हरिद्वार, गंगा के किनारे बनाया गया आध्यात्मिक ‘आस्था पथ’

हरिद्वार: देवभूमि उत्तराखंड में आस्था का पर्व कुंभ चल रहा है देश विदेश से श्रद्धालु हरिद्वार आ रहे हैं।

वहीं अधिक आगन्तुकों को आकर्षित करने के लिए पवित्र नगरी हरिद्वार को भव्यता से सँवारा गया है। कुंभ के लिए धर्मनगरी हरिद्वार को सलीके से सजाया–संवारा गया है। समूचे नगर को निर्माण और रंगों के जरिए आस्था और अध्यात्म का टच दिया गया है। इसी थीम पर गंगा नदी के किनारे एक पैदल मार्ग विकसित किया गया है, जिसे ‘आस्था पथ’ नाम दिया गया है।

पंतद्वीप पार्किंग से चंडीघाट पुल तक बनाए गए इस पथ की लंबाई तकरीबन एक किमी है। आने वाले समय में कुंभनगरी के लिए यह धरोहर साबित होगा। इससे न केवल श्रद्धालुओं को मां गंगा के साथ सुरक्षित सेल्फी लेने का मौका मिलेगा बल्कि वे शांत वातावरण में मॉर्निंग वॉक और योग–ध्यान भी कर सकते हैं।

कुंभ पुलिस ने भिखारियों की बदली जिंदगी:

इसी बीच हरिद्वार में भिक्षावृत्ति में लिप्त भिक्षुकों को जेल या भिक्षुक ग्रह भेजने के स्थान पर न सिर्फ पुलिस थानों में रोजगार के अवसर दिए गए बल्कि स्वाभिमान और गर्व के साथ जीने का अवसर दिया गया। सर्वप्रथम सभी भिक्षुकों को भिक्षावृत्ति से हटा कर सुविधाजनक आवास की व्यवस्था कुम्भ पुलिस ने की।

कुंभ पुलिस का कहना है कि शहर के बेस्ट सैलून से एक्सपर्ट द्वारा स्नान, हेयरकट हुलिया ही नहीं उनका मेडिकल टेस्ट और कोविड टेस्ट भी किया गया। इलाज के उपरांत कुछ इक्षुक भिक्षुकों उनके घर पहुंचाया गया। वेरिफिकेशन के उपरांत सभी भिक्षुकों के आधार कार्ड बनवाकर इनके बैंक खाते खुलवाए कर लगभग 10 हज़ार मासिक वेतन 16 भिखारियों को अपने-अपने खातों पर प्राप्त हो चुका है।

इसके अलावा 8 और नए भिक्षुकों को पुलिस थानों के मेस में कार्य दिया जा रहा है, कुल 24 पूर्व भिक्षुक अब पुलिस के साथ कुम्भ मेला व्यवस्था में जुड़ गए है। कुछ भिक्षुकों ने अपनी पहली कमाई का कुछ अंश अपने घर भी भेजा गया है तो कुछ ने कुछ दान तक दिया है ।

पहला वेतन मिलने के बाद आईजी कुम्भ मेला संजय गुंज्याल जिनके द्वारा ये इनिशिएटिव लिया गया उन्होंने द्वारा इन भिक्षुक को कुम्भ खत्म होने के बाद अलग अलग इंडस्ट्रीज और होटल में उनकी योग्यता अनुसार कुम्भ मेला के उपरांत भी काम देने का प्रबंध किया गया।

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