राम राज्यस्पेशल

25 केस में आरोपी व मुख्य सचिव पर SC ST एक्ट लगाने वाले दलित IAS ने कहा अंबेडकरवादी होने की मिली सजा, नहीं बनाया गया कलेक्टर

भोपाल: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित आईएएस अधिकारी रमेश थेटे ने अपने रिटायरमेंट के दिन सरकार पर जातिवाद के तहत उनके साथ भेदभाव का आरोप लगाया है। शुरू से ही विक्टिम कार्ड खेलने में दो हाथ आगे रहने वाले 2008 बैच के इस IAS अधिकारी ने दावा किया है कि सभी मापदंडो को पूरा करने के बावजूद उन्हें कलेक्टर नहीं बनने दिया गया है।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अम्बेडकरवादी होने कि वजह से उनके साथ भेदभाव किया जाता रहा था। रमेश थेटे ने शुक्रवार को मीडिया को जारी अपने पत्र में कहा कि सेवानिवृत होने से पहले प्रमुख सचिव पद पर पदोन्नति नहीं मिलने से वे काफी निराश हैं।

रमेश के मुताबिक 25 जुलाई 2020 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिख कर प्रमुख सचिव के पद नियुक्त करने की मांग की थी। थेटे ने कहा है कि उनके साथ यह अन्यायपूर्ण व्यवहार अंबेडकरवादी होने के नाते किया गया है।

उन्होंने कहा है कि एक आईएएस अधिकारी होने के नाते मैंने दबे और कुचले लोगों के लिए काम किया और बड़ी निर्भयता से फैसले भी लिए। लेकिन एक जातिवादी गीरोह ने हमेशा मुझे घेरा और मेरा शिकार किया।

वहीं पुरे कार्यकाल में उनका कभी भी अपने सीनियर अफसरों से सम्बन्ध सही नहीं रहा था। एक मौके पर तो उन्होंने ग्रामीण विकास सचिव के पद पर रहते हुए विभाग के मुख्य अपर सचिव राधेश्याम जुलानिया के खिलाफ चिट्ठी लिख कर आरोप लगाए थे कि उन्होंने उन्हें स्वीपर बना कर रख दिया है। जिसपर दोनों अफसरों के संबंधो में खटास आ गयी थी।

दरअसल रमेश थेटे सिर्फ यही तक नहीं रुके थे उन्होंने अपने विभाग के मुखिया जुलानिया पर ही एससी एसटी एक्ट लगाकर जेल भेजने की मुख्यमंत्री से दरख्वास्त की थी। जिसे सीएम ने अनसुना कर दिया था।

रमेश थेटे का लम्बे समय से अपने सीनियर अधिकारियो से भिड़ने का रिकॉर्ड रहा है। जिसके कारण अनुशासनहीनता के चलते उन्हें कई बार फटकार भी लग चुकी है। ऐसे ही एक मामले में अपने अधिकारी पर थाने में एससी एसटी एक्ट दर्ज कराने पहुंचे थेटे पर कार्यवाई करते हुए उन्हें सचिव के पद से हटा दिया गया था।

अनुशासनहीनता के अलावा रमेश थेटे पर लोकायुक्त ने 25 केस घुस लेने व भ्रष्टाचार से संबंधित दर्ज किये हुए थे। वहीं एक बार लोकायुक्त द्वारा उनके जबलपुर के शासकीय निवास पर छापा भी मारा जा चूका है।

ऐसे में इतने आरोपों से घिरे रहने वाले अधिकारी व अपने सीनियर अफसरों पर फर्जी एससी एसटी एक्ट लगाने की बाते करने वाले रमेश थेटे को कलेक्टर नहीं बनाये जाने का ठीकरा उन्होंने उनकी अम्बेडकरवादी सोच से जोड़ डाला है।

खैर रिपोर्ट तैयार कराने के लिए तान्या का शुक्रिया।


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Why Aarushi Kapoor is writing this piece?

Aarushi Kapoor is a student of journalism at the University of Delhi. She has a very keen interest in National politics and a knack over liberals and left-oriented politics. Moreover, She loves right because right is always right!

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