फलाने की पसंद

रोज़ डे: आशिकों की नवरात्रि का पहला दिन, उद्घाटन फूल से

7 दिन चलता है वेलेंटाइन डे, पहले दिन रोज डे मनाने के पीछे है ग्रीक मिथोलाजी, शुरुआत हुई थी 17वीं शताब्दी में

नईदिल्ली : ये हफ़्ता वेलेंटाइन डे के नाम से दुनिया भर के आशिकों के दिल के करीब होता है और इसकी शुरुआत आज यानी रोज डे से हो चुकी है | इसे सोशल मीडिया पर लोग आशिकों की नवरात्रि कह रहे हैं और उनके अनुसार आज इसका उद्घाटन दिवस था जिसकी शुरुआत फूल से हुई है |

‘रोज डे’ के पीछे है 17 वीं शताब्दी की ग्रीक मिथोलाजी :

वैसे तो रोज डे मनाने वाले आशिक हर गली, मुहल्ले और चौराहे पर दिख जाएंगे लेकिन इसके इतिहास का बारे में सवाल पूंछने पर एक ही जवाब मिलता है ” I am sorry ” . खैर चिंता की बात नहीं है जब falanadikhana.com की बेवसाइट में आ ही गए हो तो अब कारण जान कर ही जाओ ऐसे तो हम जाने नहीं देंगे |

तो हम बता रहे थे रोज दे के बारे में, वैसे इसकी शुरुआत को 17वीं शताब्दी के ग्रीक मिथोलाजी से जोड़ा जाता है क्योंकि प्यार और सुंदरता की देवी वीनस का चहेता फूल गुलाब ही था |

ये तो बात हुई देवी की,अब आते हैं देवता पर तो अगर ” ROSE ” शब्द को उल्टा पुल्टा करें तो EROS बन जाता है जोकि प्रेम व सुंदरता की देवता हैं |

मुग़ल काल से मेलजोल खाता है आज का ये ‘रोज़ डे’ :

इतिहास के पन्ने को पलटकर देंखे तो मुग़ल काल में भी गुलाब के बारे में बातें मिलती हैं ऐसा कहा जाता है कि शासक जहांगीर की पत्नी नूरजहाँ को भी गुलाब बेहद पसंद था तभी तो मोहतरमा को खुश करने के लिए उनके पति उन्हें लाल गुलाब भेंट किया करते थे |

टेंसन फ्री वाली फीलिंग देता है रोज : रिसर्च 

वैसे तो सब जानते ही हैं कि प्यार-मोहब्बत का कोई खास सीजन नहीं होता लेकिन इस रोज डे के पीछे ज्ञान विज्ञान भी कुछ कहता है | तो रिसर्च की सुनें तो गुलाब की महक से आदमी टेंसन फ्री महसूस करता है | इसके अलावा व्यक्ति ताजगी यानी फ्रेशनर वाली फीलिंग भी इसी गुलाब से पा सकता है | यानी विज्ञान की सुनेंगे तो जेब भी सुरक्षित रहेगा और प्यार इजहार भी हो जाएगा |

 

इससे सम्बंधित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button