बड़ी खबर: ‘ऑर्बिटर नें खोज निकाली खोए हुए विक्रम लैंडर की लोकेशन, जल्द होगा संपर्क’- ISRO चीफ़
बेंगलुरु : ISRO वैज्ञानिकों नें खोए हुए विक्रम लैंडर की लोकेशन ट्रेस कर ली है।
चंद्रयान2 के लिए देश को फ़िर एक बड़ी भारी उम्मीद जाग गई है । आपको बता दें कि इसरो वैज्ञानिकों नें खोए हुए विक्रम लैंडर की स्थिति खोज निकाली है ।इसरो चीफ़ के सिवन नें ये जानकारी न्यूज़ एजेंसी ANI को टेलीफ़ोन पर दी ।
सिवन नें कहा कि “मिशन के ऑर्बिटर नें थर्मल इमेजिंग के जरिए विक्रम लैंडर की लोकेशन ट्रेस कर ली है । ”
Lander Vikram located: K Sivan
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— ANI Digital (@ani_digital) September 8, 2019
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि “अब हम लगातार इससे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं जोकि बहुत जल्द हो जाएगा ।”
वैज्ञानिकों नें पता लगाया है कि विक्रम लैंडर चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर लैंड किया है लेकिन यह देखना बाकी है कि क्रॉस लैंडिंग कराते वक़्त विक्रम क्षतिग्रस्त तो नहीं हुआ यदि हुआ है तो कितने प्रतिशत हुआ है ?
लेकिन आपको बता दें कि वैज्ञानिकों के लिए ये बहुत अच्छी व बड़ी खबर है और आने वाले समय में चंद्रयान2 मिशन के बारे में हमें कई जानकारियां हासिल हो सकती हैं ।
मिशन चंद्रयान2 के खोए हुए विक्रम लैंडर को पता लगाने को लेकर फ़िर से इसरो वैज्ञानिकों नें उम्मीद बढ़ाई है ।
दरअसल इसरो नें 22 जुलाई 2019 को अपना बहुआयामी मिशन चंद्रयान2 भेजा था जिसका लैंडिंग के दिन 7 सितंबर को पूरा 100% परिणाम पाने में मिशन चूक गया, 95% तक मिशन सफ़ल रहा ।
हालांकि मिशन को असफ़ल कतई नहीं कहा जाएगा क्योंकि इस मिशन के कई भाग थे जिनमें ऑर्बिटर बिठाना, लैंडर को स्थापित करना । लेकिन विक्रम का संपर्क अंतिम चरण में इसरो से टूट गया लेकिन वैज्ञानिक इसे अगले 15 दिनों तक खोजने की कोशिश करते रहेंगे ।
उधर इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने शनिवार को घोषणा की कि “चंद्रयान -2 मिशन के 90-95% उद्देश्य पहले ही हासिल किए जा चुके हैं, इसलिए हमें मिशन को असफल नहीं कहना चाहिए”। ऑर्बिटर का जीवनकाल 7.5 साल का होगा, न कि एक साल पहले जैसा कि पहले कहा गया था, क्योंकि बहुत सारा ईंधन बचा हुआ है।
सिवान नें कहा था कि आर्विटर पर उपकरणों के साथ विक्रम लैंडर को खोजने की संभावना है।
Orbiter has fuel for 7 years, may spot Vikram in 3 days https://t.co/3gqw8Ek00d
— TOI India (@TOIIndiaNews) September 8, 2019
उन्होंने कहा, “ड्यूलबैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) पर ऑर्बिटर ध्रुवीय क्षेत्र की उप-सतह के 10 मीटर तक घुसने और देखने में सक्षम होगा और हमें पानी की बर्फ खोजने में मदद करेगा। और इसके एडवांस IR स्पेक्ट्रोमीटर 3 माइक्रोन के जो पहले होते थे उसके बजाय ये 5 माइक्रोन तक काम कर सकते हैं, और ये पेलोड बहुत सारा डेटा देंगे। ”