MP के सभी स्कूलों में प्रति वर्ष आयोजित किया जाएगा ‘संस्कृत सप्ताह’
भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुँचाने के लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति तथा संस्थाएँ संस्कृत के लिए कार्य कर रहे हैं उन्हें अब इसीलिए संरक्षण देने और उनके प्रयासों के विस्तार के लिए भी राज्य सरकार द्वारा कार्य किया जाएगा। संस्कृत के माध्यम से ही भारतीय संस्कृति के संचित ज्ञान को अगली पीढ़ी तक ले जाया जा सकता है। प्रदेश के सभी स्कूलों में प्रति वर्ष संस्कृत सप्ताह आयोजित किया जाएगा।
संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत प्रदेश की सभी शालाओं में आयोजित हुईं गतिविधियाँ
मुख्यमंत्री आज संस्कृत सप्ताह के समापन कार्यक्रम को निवास से वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार वर्चुअली सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष भरत बैरागी, संस्कृत भारती के क्षेत्र संगठन मंत्री प्रमोद पंडित, प्रांत संगठन मंत्री नीरज दीक्षित, प्रांत अध्यक्ष डॉ. अशोक भदौरिया सहित महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के निदेशक प्रभात राज तिवारी सहित संस्कृत भारती के पदाधिकारी सम्मिलित हुए।
वर्चुअल कार्यक्रम से 2175 विद्यालय जुड़े। संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत 18 अगस्त से प्रदेश के सभी 52 जिलों में योग की गतिविधियाँ तथा संस्कृत आधारित प्रतियोगिताएँ प्रदेश की सभी शालाओं में आयोजित की जा रही हैं।
संस्कृत शिक्षण के केंद्र रहे हैं उज्जैन और ओंकारेश्वर
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा राज्य आरंभ से ही संस्कृत ज्ञान परंपरा के श्रेष्ठ अध्ययन केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित रहा है। उज्जैन और ओंकारेश्वर संस्कृत शिक्षण के केंद्र रहे हैं। इसीलिए प्रथम जगद्गुरु श्री कृष्ण और द्वितीय जगतगुरू आदि शंकराचार्य, क्रमश: उज्जैन और ओंकारेश्वर में विद्या ग्रहण करने आए। अतः संस्कृत भाषा की शिक्षा और इसके विस्तार के लिये प्रदेश का दायित्व बढ़ जाता है। राज्य सरकार संतों और संस्कृत के लिए कार्य कर रही संस्थाओं को जोड़कर संस्कृत के विस्तार के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
कई देशों ने कराया वेदों का वैज्ञानिक अध्ययन
मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत प्राचीन और महान भाषा है। यह हमारी संस्कृति का आधार है, क्योंकि हमारे सभी ग्रंथ संस्कृत में ही हैं। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी भी है। वेद केवल ज्ञान ही नहीं विज्ञान, शिल्प, कौशल, अध्यात्म का खजाना भी है, जिसे बिना संस्कृत के हम नहीं समझ सकते हैं। कई देशों ने वेदों का वैज्ञानिक अध्ययन कराया और विज्ञान के क्षेत्र में भी उपलब्धियाँ अर्जित की हैं।
आने वाली पीढ़ी को संस्कृत से जोड़ना जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम के प्रभाव में हम अपनी परंपरा और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में संस्कृत सप्ताह का आयोजन संस्कृत को लोकव्यापी बनाने और अगली पीढ़ी को इससे परिचित कराने में सहायक होगा। यह हमारी ज्ञान परंपरा की निरंतरता के लिए आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि योग से निरोग कार्यक्रम और देवारन्य योजना आगे आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति और जड़ों से जोड़ने में सहायक सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री निवास पर हुआ संस्कृत पर केन्द्रित कार्यक्रम
कार्यक्रम में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष भरत बैरागी ने संस्थान द्वारा संचालित गतिविधियों की जानकारी दी। संस्कृत भारती के क्षेत्र संगठन मंत्री प्रमोद पंडित ने कहा कि यह पहला अवसर है जब मुख्यमंत्री निवास में संस्कृत पर केन्द्रित कार्यक्रम आयोजित हो रहा है।