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5 हज़ार KM दूर रूस से चलके रूसी महिलाओं नें पितृमोक्ष के लिए गया में किया पिंडदान

गया (बिहार) : रूस से आईं महिलाओं नें गया में पितृमोक्ष के लिए विधिवत हिंदू संस्कृति से पिंडदान किया।

सनातन संस्कृति की धमक अब सात समंदर पार पहुंच रही है जिसमें एक नया उदाहरण बिहार के गया में देखा गया ।

हिंदू धर्म के अनुसार पूर्वजों व पुरखों के मोक्ष के लिए आने वाली पीढियां विधिवत रूप से पिंडदान करती हैं। कथानुसार ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। हालांकि यह सनातनी परंपरा अब धर्म, जात-पात, देश की लकीरें तोड़कर विदेशों में अहमियत बता रही है ।

जैसा कि आपको पता है पितृपक्ष-श्राद्ध का महीना चल रहा है और मोक्षनगरी गया में लोग पितरों की आत्मा शांति के लिए कर्मकांड करते हैं । इसी कड़ी में न्यूज़ एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक गया में बुधवार 25 सितंबर को 6 रूसी महिलाएं मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान करने प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर के समीप देवघाट पहुंची।

Russian Women Performing Pind Dan at Gaya, Bihar

भारत और रूस की दूरी लगभग 4980 Km है लेकिन सनातन संस्कृति के लिए ये दूरी मानो 50 km ही थी जैसे रूस से आई इन छह महिलाओं ने बुधवार को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अपने पितरों के मोक्ष के लिए पूरे सनातन धर्म के विधि विधान के साथ कर्मकांड किया, वहीं महिलाओं नें अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की।

रूस से आईं महिला तीर्थयात्रियों ने अंत:सलिला फल्गु नदी में पिंड प्रवाहित किया और तर्पण कर पितरों को मोक्ष मिलने की कामना की। धर्म प्रचारक लोकनाथ गौर ने सनातन धर्म के अनुसार, रूसी महिलाओं से विधिवत पिंडदान कराया।

लोकनाथ गौर ने कहा, “पिंडदान करने आईं महिलाएं रूस के अलग-अलग क्षेत्रों में रहती हैं इनमें एलेना कशिटसाइना, यूलिया वेरेमिनको, इरेस्को मगरिटा, औक्सना कलिमेनको, इलोनोरा खतिरोबा और इरिना खुचमिस्तोबा शामिल हैं।”

Russian Women Performing Karmakand In Traditional Hindu Culture

उन्होंने बताया कि इन सभी को विश्वास है कि कर्मकांड करने से इनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी। सभी रूसी महिलाओं ने साड़ी पहनकर भारतीय वेशभूषा में कर्मकांड किया।

एलेना कशिटसाइना ने कहा, “भारत धर्म और अध्यात्म की धरती है, गया आकर मुझे आंतरिक शांति की अनुभूति हो रही है मैं यहां अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आई हूं।”

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब विदेशियों नें भारत आकर कर्मकांड किया हो।

पिछले साल रूस, स्पेन, जर्मनी, चीन, कजाकिस्तान से आए 27 विदेशी पर्यटकों ने भी अपने-अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और तर्पण किया था।

हाल ही में पितृपक्ष चालू होने के पहले कुछ तथाकथित वामपंथी विचारधारा समर्थकों ने श्राद्ध का बायकॉट करने का ट्रेंड चलाया था उनका मक़सद हिंदू संस्कृति का मज़ाक उड़ाना लेकिन ये घटनाक्रम उनको वैचारिक तमाचा मारने का काम करेगा ।

【Writer : Shivendra Tiwari, follow me on twitter @ShivendraDU98

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