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‘जातिगत आरक्षण बढ़ाना, समानता के अधिकार का करता है उल्लंघन’- हाईकोर्ट जस्टिस राजस्थान

जयपुर (Raj) : हाईकोर्ट जस्टिस नें 10 साल करके जातिगत आरक्षण बढ़ाने को संविधान के मूल भावना के ख़िलाफ़ बताया है।

राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पानाचंद जैन ने संविधान के 126वें संशोधन को लेकर सवाल उठाया है। आपको बता दें कि संविधान का संशोधन 126 वां एससी एसटी के लिए 10 वर्षों तक राज्य की विधानसभाओं व लोकसभा में जातिगत आरक्षण को बढ़ाने का प्रावधान करता है। वहीं इस 10 साल आरक्षण बढ़ाने वाले बिल को हाल ही में समाप्त हुए संसद के शीतकालीन सत्र में पास कराया गया था।

Justice Pana Chand Jain
जिसे दोनों सदन राज्यसभा व लोकसभा से पास किया गया था। लेकिन अब इसको लेकर न्यायपालिका से जुड़े लोग भी सवाल उठा रहे हैं। दरअसल सवाल उठाने वाले जस्टिस पानाचंद राजस्थान हाई कोर्ट के जज रह चुके हैं। श्री जैन नें 1985 से लेकर 1989 तक राजस्थान हाईकोर्ट में जज के तौर पर सेवा दी।
समता समिति को दिए हाल ही के एक इंटरव्यू में राजस्थान हाईकोर्ट के जाने माने जज जस्टिस पानाचंद जैन ने 10 साल आरक्षण बढ़ाने को अवैध करार देते हुए कहा है कि यह समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि संविधान के लागू होने के 10 साल बाद आरक्षण स्वयं ही समाप्त हो जाता है। इसके लिए संविधान सभा की कार्रवाई जरूर लोगों को अध्ययन करना चाहिए।
जस्टिस पानाचंद नें 126वें संविधान संशोधन में सामान्य वर्ग उम्मीदवारों के  चुनाव नहीं लड़ पाने का मुद्दा उठाते हुए कहा संशोधन करके इन लोगों का अधिकार छीन लिया गया जो कि 20 लोगों के समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
आगे उन्होंने कहा समानता बरकरार रखने के लिए 126 वां संविधान संशोधन को रोकना चाहिए, लोगों को इसे रोकने के लिए आगे आना चाहिए इसमें न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट को दखल देना चाहिए। इसमें लोगों के अधिकार वंचित हो रहे हैं समानता के अधिकार व मूलभूत संरचना के भी खिलाफ है सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट संज्ञान में लें।
आगे जस्टिस नें कहा जातिगत आरक्षण के कारण एक सामाजिक संकट आ गया है, इसे समाप्त करना लोकतंत्र और गणतंत्र के लिए उचित है। सामाजिक शैक्षणिक समानता को लेकर आरक्षण था अब लोगों का प्रतिनिधित्व भी अधिक हो चुका है, लोग क्रीमीलेयर में भी आ चुके हैं।
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