‘प्राचीन पद्धति से बनेगा राममंदिर, हजारों सालों तक भूकंप जैसी आपदाओं में खड़ा रहेगा मंदिर’: ट्रस्ट
अयोध्या (UP): राम मंदिर भारत में सबसे अनोखा मन्दिर बनाने की तैयारी शुरू हो गई है।
प्रभु श्रीराम की पावन जन्मभूमि पर उनके भव्य और दिव्य मन्दिर के निर्माण का कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 अगस्त 2020 को भूमिपूजन करने के पश्चात प्रारम्भ हो गया है।
उधरमंदिर निर्माण के लिए बनाए गए आधिकारिक ट्रस्ट श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सभी श्रीराम भक्तों को आह्वान किया है कि मन्दिर निर्माण हेतु वो यथाशक्ति व यथासंभव दान करें।
जबकि ट्रस्ट के मुताबिक श्री रामजन्मभूमि मन्दिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि वह सहस्त्रों वर्षों तक न केवल खड़ा रहे, अपितु भूकम्प, झंझावात अथवा अन्य किसी प्रकार की आपदा में भी उसे किसी प्रकार की क्षति न हो। मन्दिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नही किया जाएगा।
श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के निर्माण हेतु कार्य प्रारंभ होते ही CBRI रुड़की और IIT मद्रास के साथ मिलकर निर्माणकर्ता कम्पनी L&T के अभियंता भूमि की मृदा के परीक्षण के कार्य में लगे हुए है। महत्वपूर्ण सूचना में ट्रस्ट ने बताया कि मन्दिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है।
मन्दिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा। निर्माण कार्य हेतु 18 इंच लम्बी, 3 mm गहरी और 30 mm चौड़ी 10,000 पत्तियों की आवश्यकता पड़ेगी। ट्रस्ट श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने श्रीरामभक्तों को आह्वान किया है कि वो तांबे की पत्तियां दान करें।
ट्रस्ट ने बताया कि इन तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपने परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। इस प्रकार से ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, अपितु मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी।
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