ब्राह्मण व्यक्ति की हुई मौत तो लकड़ी मांग कर हुआ अंतिम संस्कार, लोगो ने लगाया घर का पहला बल्ब
रीवा: अदम गोंडवी का एक मशहूर शेर है: चीनी नहीं है घर में, लो, मेहमान आ गये मंहगाई की भट्ठी पे शराफत उबाल दो। ये शेर कई मायनों में मध्यप्रदेश के रीवा जिले के सेमरिया तहशील अंतर्गत तिघरा गाँव से मिलता जुलता है जहां धर्मराज पांडेय नामक एक गरीब ब्राह्मण की सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मृत्यु हो गई।
ग़रीबी इतनी की अंत समय में देह में जो जैकेट लिपटी हुई थी वो भी खुद की नहीं बल्कि पड़ोसी गांव बबईया के पूर्व सैनिक मुन्ना तिवारी द्वारा दिए गए 1 हज़ार रुपयों की खरीदी थी। और जब घटना के बाद फ़लाना दिखाना के रिपोर्टर शिवेंद्र तिवारी एक गांव के ही शिक्षक जितेंद्र तिवारी की मदद से मृतक के घर पहुंचे। घर के हालात यूं दिखे कि धमर्राज के परिजन घर आए शिक्षक के बैठने के लिए ढूढ़ने लगे तो उन्हें एक बोरी मिली।
वहां परिजनों व आस पड़ोस लोगों ने धर्मराज के परिवार की ग़रीबी की आपबीती सुनाई। बताया गया कि धर्मराज पांडेय उम्र 42 वर्ष 14 दिसम्बर को करीब रात को 9 बजे घर से खेत में पानी लगाने के लिए निकले थे। उस रात जबरदस्त कड़ाके की ठंड भी थी जिसके कारण गांव भर के लोग सो चुके थे इनका घर मेन रोड पर ही है। इसके बाद सुबह रोड के पास के दुकानदार जब दुकान खोलने आए तो उन्होंने धर्मराज को लाश सड़क के किनारे खून से लथपथ देखी और पुलिस व परिजनों को सूचित किया।
धर्मराज के परिवार में 2 लड़के और तीन लड़कियां हैं एक लड़की करीब 20 साल की जिसकी शादी हो गई है बाकी एक 13 साल की और एक 11 साल की। एक लड़का जो 19 साल का है वो मुंबई में मजदूरी करता है। जबकि सबसे छोटा लड़का 9 साल का है। पूरे परिवार का गुजारा थोड़ी बहुत जो खेती हो जाती उससे होता था।
हालांकि धर्मराज के घर में अब जीने व खाने का सवाल खड़ा हो गया है क्योंकि घर में पालक के नामपर धर्मराज के पिता राजरूप पांडेय (उम्र 82 वर्ष) हैं जो इतने बीमार रहते हैं कि वो भी बिस्तर से उठते हैं तो एक या दो लोग सहारा लेना पड़ता है।
उधर 14 दिसम्बर की घटना के बाद लड़के के मुंबई से वापस लौट आने के बाद 16 दिसंबर को अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार की पूरी तैयारी गांव वालों ने ही की। पूर्व सैनिक मुन्ना तिवारी ने ही फिर एक हजार अंतिम संस्कार के लिए जरुरी समान खरीदने के लिए दिए। लकड़ी की व्यवस्था गाँव के ही बालेन्द्र पांडेय ने कराई।
अब आगे क्रिया कर्मों व तेरहवीं जैसे सभी क्रिया कलापों के लिए गांव के लोग एक थोड़ा थोड़ा धन व अनाज इकट्ठा करवा रहे हैं इस काम में गांव के ही शिक्षक जितेंद्र तिवारी व समाजसेवी राकेश तिवारी व पूर्व सरपंच उमादत्त वर्मा समेत अन्य ग्रामीण जन लगे हैं।
शाम ढलते ही घर में आसपास घुप्प अंधेरा छा जाता है आसपास पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था नहीं है। हालांकि ये देखकर बीती रात पड़ोसी पप्पू पांडेय ने दुकान से खुद एक बल्व खरीद कर उनके घर के बाहर लगाया ताकि बाहर निकलने पर परिजनों को जीव जंतु से कोई खतरा न हो। घर में दो चार मेहमान भी बेटी दामाद भी आ चुके हैं उनके लिए ठंड में गद्दे व रजाई की व्यवस्था गांव के ही युवा सचिन शुक्ला ने रात कल ही 11 बजे लाकर की।
वहीं घर में अब परेशानियों की झड़ी सी लगने वाली है। अगली बरसात में घांस फूस व खपरैल वाले कच्चे घर की छत से टपकती बूंदों की मुसीबत, दो बेटियों की शादियां फिलहाल उनकी पढ़ाई। छोटे बेटे की पढ़ाई और बूढ़े पिता राजरूप पांडेय की दवाई और सेवा। जब पिता से फलाना दिखाना के रिपोर्टर ने बात की तो घर की हालत बताते हुए रोने लगे। बताया कि शौचालय का बड़ा कष्ट है कैसे बीमार आदमी बाहर जाऊं। आजतक घर में शौचालय व घर कोई नहीं बनवाया। आगे उन्होंने बेटे के जाने का गम भी रोते बिलखते सुनाया।
ऐसा ही पूरे घर का हाल है धर्मराज की पत्नी भी रोते हुए बैठी रहती हैं। बेटे बेटियां भी इतने बड़े नहीं हैं इतने अमीर नहीं हैं कि आगे का कुछ कर सके और तो और पूरे परिवार ने अब सब कुछ ऊपर वाले पर छोड़ दिया है। इसके अलावा बची उम्मीद शासन प्रशासन के नुमाइंदों से हैं कि कोई पहल करके पीएम आवास व शौचालय जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवा दे ताकि परिवार का किसी तरह जीवन चल सके।
इस गरीब परिवार की मदद आप भी कर सकते है। मृतक की पत्नी के खाते में सीधे आर्थिक सहायता कर आप उनका दुःख कम करने का एक छोटा सा प्रयास करिये।