रिव्यु कोना

चंद्रशेखर को ‘जनेऊधारी’ कहने पे बाहुबली-2 कवि का सेकुलरों ने किया विरोध, कवि बोले- फिर मौलाना आजाद भी गलत ?

नई दिल्ली: चंद्रशेखर आजाद को जनेऊधारी व तिवारी का विरोध करने वालों को लेखक नें जोरदार जवाब दिया है।

23 जुलाई शहीद चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर “तेरी मिट्टी” गाने के मशहूर लेखक मनोज मुंतशिर को उनकी एक कविता से कथित सेकुलर व लिबरल बौखला गए। पहले आपको बता दें कि उत्तरप्रदेश के अमेठी के रहने वाले मनोज मुंतशिर देश के जाने माने गीतकार, लेखक और कवि हैं। उन्होंने ही तेरी मिट्टी, बाहुबली-2, फिर भी तुमको चाहूंगा, गलियां, तेरे संग यारा, रश्क ए क़मर जैसे गानों को लिखा है।

दरअसल मनोज में चंद्रशेखर आज़ाद को समर्पित एक कविता लिखी थी कि

मलते रह गए हाथ शिकारी,                             उड़ते पंछी छोड़ पिटारी,                               अंतिम गोली खुद को मारी,                             जियो तिवारी जनेऊ धारी…”

लेखक मनोज ने बताया कि कविता में जनेऊ धारी व तिवारी लिखने से कुछ लोगों को आग लगी। मनोज ने विरोधियों को जवाब देने के लिए पहले तो भगवान बुद्ध की से जुड़ी एक कथा सुनाई। फिर मनोज ने एक एक करके फ़र्जी सेकुलरिज्म व लिबर्लिज्म की पोल खोली।

मनोज ने कहा कि चंद्रशेखर आज़ाद को  तिवारी व जनेऊधारी मैंने नहीं बनाया तिवारी वो पैदा हुए व जनेऊधारी वो बड़ी शान से धारण करते थे। इंटरनेट खँगाल लीजिए उनकी एक ही तस्वीर में मिलेगी जहां वो जनेऊ धारण किए हुए मूंछों पर ताव दे रहे हैं।”

आगे मनोज ने कहा कि “आजाद राष्ट्रवादी क्रांतिकारी थे तो क्या इसलिए उनसे अपने ब्राह्मणत्व का अधिकार छीन लेना चाहिए। धर्म निरपेक्ष का मतलब यह कब से हो गया कि हम अपने धर्म का सम्मान नहीं कर सकते ? जो उनके प्रतीक हैं उन्हें धारण नहीं कर सकते।”

इसके बाद मनोज ने अपनी बात को तार्किक रूप से सही ठहराते हुए कहा कि फिर तो भगत सिंह को सरदार भगत सिंह, अबुल कलाम आजाद को मौलाना अबुल कलाम आजाद आजाद कहना भी गलत है। क्योंकि उनके नाम में मौलाना व सरदार जोड़ने से उनके धर्म का पता चलता है।”

मनोज ने चंद्रशेखर आजाद के जनेऊ धारण करने को लेकर भी विरोधियों को जवाब दिया कहा कि “चंद्रशेखर उसी शान से जनेऊ पहनते थे जिस तरह से भगत सिंह ने पगड़ी व मौलाना आजाद ने टोपी पहनी थी।”

इसके बाद उन्होंने अपनी पैदाइश संस्कृति व संस्कार पर गर्व महसूस करने के लिए कहा। बोले कि “यदि अपनी मां का सम्मान नहीं कर सकते तो दुनिया में किसी मां का सम्मान नहीं कर सकते हैं। अगर अपनी पैदाइश का सम्मान नहीं कर सकते हैं तो आप किसी भी चीज का सम्मान नहीं कर सकते।”

अंत में उन्होंने झूठे लिबरलों को माफी के लिए साफ मना करते हुए कहा कि “मनोज मुंतशिर मेरा नाम है इसका मतलब यह नहीं कि मुझे मनोज शुक्ला पैदा होने पर गर्व नहीं है। झूठे लिबर्लिज्म से ऊपर आइए और चंद्रशेखर आजाद ने जनेऊ धारण करके भी देश के लिए बलिदान दिया था। छोटी छोटी बातों से ऊपर उठिए। और मैं चंद्रशेखर को सौ बार तिवारी व जनेऊधारी कहूँगा। माफी मांगने का सवाल ही नहीं पैदा होता।”

मनोज ने अपना सीधा संवाद व जवाब अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी साझा किया है।


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Why Shivendra Tiwari is writing this piece?
Shivendra Tiwari is a student of journalism at the University of Delhi. Shivendra comes from a very remote village of Riwa situated in Madhya Pradesh. Shivendra’s knowledge about regional and rural politics defines his excellence over the subject. Apart from FD, he writes for ‘Academics 4 Namo’ and ‘Academics for Nation’ to express the clear picture of right-wing in the rural areas. Moreover, Tiwari Ji is from a science background and had scored more than 95% in his intermediate exams!

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