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‘देश की सरकारें हमेशा आरक्षण का खेल खेलती हैं’- नोबेल विजेता अभिजीत बैनर्जी

वाशिंगटन (USA ) : एक इंटरव्यू में अभिजीत बनर्जी नें भारत की आरक्षण व्यवस्था की काफी आलोचना की और इसे राजनीतिक खेल बताया।

पिछले दिनों अर्थशास्त्र में 2019 के लिए नोबेल विजेताओं की घोषणा हुई जिसमें एक नाम था अभिजीत बनर्जी | नाम से ही लगता है भारत से इनका कोई संबंध है, जी हाँ फ़िलहाल इनके पास अमरीकी नागरिकता है लेकिन इनका जन्म भारत में ही हुआ था | तो आइए जानते हैं कि इनका  भारत से अमेरिका तक सफ़र कैसे पहुंचा |

तो अभिजीत बनर्जी का जन्म बनर्जी का जन्म मुंबई, यानी भारत में ही हुआ था, उनकी माता जी निर्मला बनर्जी (नी पाटनकर), एक हिंदू मराठी  से ताल्लुक़ रखती थी और सेंटर फॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंसेज, कलकत्ता में अर्थशास्त्र की  प्रोफेसर थीं । अभिजीत के पिता जी हिंदू बंगाली प्रोफेसर दीपक बनर्जी जोकि कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख भी थे ।

Abhijeet Banerjee & His Parents

उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा साउथ पॉइंट हाई स्कूल, कोलकाता के एक प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान से प्राप्त की। स्कूली शिक्षा के बाद, उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज, कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, जहाँ उन्होंने 1981 में अर्थशास्त्र में अपनी BSC (H) की डिग्री पूरी की।

Abhijeet Banerjee With His Wife Esther Duflo, Worked For Poverty Eradication

बाद में, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), दिल्ली में अर्थशास्त्र में MA पूरा किया। 1983 अपने जेएनयू के दिनों के दौरान, उन्हें JNU के तत्कालीन कुलपति पीएन श्रीवास्तव की ‘घेराव’ के बाद एक विरोध प्रदर्शन के दौरान  गिरफ्तार किया गया था और  तिहाड़ जेल में बंद किया गया था। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया और छात्रों पर आरोप लगाए गए  थे उन्हें भी हटा लिया गया था |

बाद में, उन्होंने 1988 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय ,  अमेरिका में अर्थशास्त्र में Ph.D  की उपाधि  ली  ।

इसके बाद हम  आज उनके एक इन्टरव्यू का विश्लेषण करने जा रहे हैं जोकि उन्होंने एक अंग्रेज़ी वाणिज्यिक समाचार पत्र बिजनेस  स्टैण्डर्ड को दिया था वैसे तो ये इन्टरव्यू जनवरी 2019 में दिया गया था लेकिन इस समाचार पत्र नें अभिजीत को नोबेल मिलने के बाद फिर से प्रकाशित किया है | इस इन्टरव्यू की सबसे ख़ास बात थी कि उन्होंने इन्टरव्यू पर देश के एक ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात की जिसपर भारत की राजनीति चर्चा भी करने से डरती है दरअसल वो मुद्दा है आरक्षण का |

उस इन्टरव्यू में जब नोबेल विजेता अभिजीत  बनर्जी से भारत में आरक्षण की नीति के बारे में पूछा गया तो वो जवाब में कहते हैं कि  :

Nobel Winner Abhijeet Banerjee

“आरक्षण की नीतियों के बारे में बुरी बात यह है कि कोटा के लिए लड़ने की एक धुन या सनक सी है जिसमें आदमी एक ही चीज के बारे में सोचता रहता है। हमारी राजनीतिक व्यवस्था है वो हमेशा आरक्षण का खेल खेल रही है | लेकिन हमें जो करना चाहिए वो आरक्षण में होने की आकांक्षा न हो |

आगे उन्होंने जोड़ा कि ” लेकिन सरकार से पूछें कि आपने सरकारी क्षेत्र से बाहर नौकरी बढ़ाने के लिए क्या किया है ? सरकारी नौकरियों के बजाय, हमारे खुद के हितों को देखते हुए पूछा जाना चाहिए कि हम अर्थव्यवस्था को कैसे तेजी से आगे बढ़ाएं, कैसे हम अधिक नौकरियां पैदा करें, सभी के लिए आवास, कैसे इन्फ्रा और पर्यावरण में सुधार करें ?”

Abhijeet Banerjee Addressing A Conference

इस तरह से आरक्षण के बारे में अभिजीत बनर्जी नें साफ़ साफ़ कहा कि हमारी राजनीति क व्यवस्था   आरक्षण का खेल खेल रही है और लोगों में इसके लिए ही धुन सवार रहती है |

आगे अभिजीत नें बोला कि “यदि आरक्षण के बजाय इनकी मांग क्यों नहीं करते हैं हम ? क्योंकि लोग सोचते हैं कि सरकारी नौकरी पाने से हमे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। सरकारी नौकरी ज्यादा पैसा, निचले पदों पर कम से कम, यदि उच्च स्तर पर नहीं हुआ तो। भारत में यह बहुत ही आकर्षक है। उदाहरण के लिए, हमारे सरकारी शिक्षकों को जीडीपी के सापेक्ष बहुत अधिक भुगतान मिलता है जबकि विकसित राष्ट्रों में ऐसा नहीं होता ।”

यानी दुनिया के सबसे बड़े पुरस्कार नोबेल  विजेता अभिजीत बनर्जी भी भारत में आरक्षण को एक राजनीतिक गेम मानते हैं |


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