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प्रणव दा ने याकूब से लेकर कसाब जैसे आतंकवादियों सहित खारिज की थी 30 दया याचिकाएं

नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपराधियों के लिए बिल्कुल अपने स्वभाव के उलट व्यवहार करते थे।

आज देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। राजनीति के एक युग को समेटे सबके प्रणब दा की हर व्यक्ति के पास कुछ न कुछ यादें हैं।

बतौर भारत के राष्ट्रपति, वह अपराधियों व आतंकवादियों की दया याचिकाओं पर काफी कठोर थे। क्योंकि उनके पूर्व के कई राष्ट्रपति दया याचिकाओं को लटकाए रखने वाले रिकार्ड के थे।

अपने राष्ट्रपति पद के पांच वर्षों में, मुखर्जी ने कम समय में ही 34 दया दलीलों का निपटारा किया था।  35वीं अगर आप 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के फाइनेंसर याकूब मेमन के मामले को भी माने। जिसमें पहली बार असफल रहे, तो दो बार राष्ट्रपति की दया के लिए अपील की गई थी।

मुखर्जी ने 30 दया याचिकाएं 31वीं, फिर से, यदि आप मेमन की अनुवर्ती याचिका शामिल करते हैं) को खारिज कर दिया है, और चार मामलों में जीवन दान दिए हैं। इस तरह से उन्होंने 88% दया याचिकाओं को खारिज किया था।

प्रणव दा याचिकाओं को खारिज करने का उनका रिकॉर्ड अपने पूर्ववर्ती और भारतीय गणतंत्र के इतिहास में अद्वितीय है, राष्ट्रपति आर वेंकटरमण के बाद दूसरे स्थान पर हैं, जिन्होंने 45 दया याचिका को खारिज कर दिया।

हालांकि प्रणव दा ने जिन दया याचिकाओं को ख़ारिज किया था उनमें से ज्यादा चर्चा में 26/11 मुंबई हमले के आरोपी अजमल कसाब व याक़ूब मेमन (1993 बम धमाके) व संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु की याचिकाएं थी।

उधर जब मुखर्जी के उत्तराधिकारी, राम नाथ कोविंद ने पद ग्रहण किया तो उनके पास कार्य करने के लिए कोई लंबित दया याचिका नहीं बची थी।

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