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चीनी राखियों का बाज़ार ध्वस्त करने के लिए मुफ्त में राखी बाटेंगे RSS संगठन- रिपोर्ट

नई दिल्ली : स्वदेशी आंदोलन की मजबूती के लिए इस बार RSS रक्षाबंधन अलग तरीके से मनाएगा।

भारत व चीन के बीच सीमा विवाद के बाद भारत में स्वदेशी आंदोलन को अत्यधिक समर्थन मिल रहा है। वहीं इसी कड़ी में अब इस साल की राखी अन्य वर्षों की तुलना में अधिक स्वदेशी होगी।

RSS का संगठन स्वदेशी जागरण मंच SJM नें देश में देशी राखी की मुहिम चलाई है। SJM के सह संयोजक अश्विनी महाजन ने इस मुहिम पर न्यूज एजेंसी IANS से बातचीत में कहा कि “इस साल आपको एक भी व्यक्ति नहीं मिलेगा जो चीनी राखी खरीदने को कहेगा। हमें स्वदेशी का समर्थन करने वाले हमारे ऑनलाइन फॉर्म पर हस्ताक्षर करने के लिए 13 लाख लोग मिले हैं।”

महाजन ने कहा कि “घरेलू उत्पादों की बढ़ती मांग की आवश्यकता पूरी करने के लिए, कई भारतीय निर्माताओं ने अपना उत्पादन बढ़ाया है। इस साल की प्रतिक्रिया से यह तय हो जाएगा कि भारतीय राखी निर्माता अगले साल पूरी तरह से काम कर सकते हैं या नहीं। इस साल बाजार में लोगों को चीनी उत्पाद खरीदने की बजाय धागा पहनना चाहिए।”

इस बीच, विश्व हिंदू परिषद के पास इस वर्ष के रक्षा बंधन के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। पहले से ही दो RSS के भाग- दुर्गा वाहिनी और मातृ शक्ति को राखी बनाना शुरू करने के लिए कहा है, जिस तरह से उन्होंने लॉक डाउन के दौरान मास्क बनाए थे। लेकिन इनमें से कोई भी राखी बिक्री के लिए नहीं होगी बल्कि उन्हें पूरे भारत में अपने हजारों सदस्यों के दोस्तों, परिवार और परिचितों के बीच मुफ्त में वितरित किया जाएगा।

विहिप राखी के 3-4 दिन पहले ‘स्वदेशी रक्षा बंधन’ के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगा। प्रत्येक राज्य में दुर्गा वाहिनी और मातृ शक्ति के सदस्य समाज के 3 खंडों – स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, स्वच्छता कर्मियों और सुरक्षा कर्मियों को बतौर सम्मान राखी बाँधेंगे।

विहिप के महासचिव मिलिंद परांडे ने कहा कि महामारी में ‘मेक इन इंडिया’ राखी के संदेश को भी प्रचारित करेगी। पश्चिम बंगाल, राजस्थान और असम जैसे सीमावर्ती राज्यों के इन दो सहयोगियों के सदस्यों से भी सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को ‘घर का बना’ राखी बाँटने का आग्रह किया गया है, जहाँ भी उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जाती है।”

विहिप, एसजेएम, मातृ शक्ति और दुर्गा वाहिनी के इस प्रयास में, भारत के व्यापारी संघ यह सुनिश्चित करने के लिए आगे आए हैं कि इस वर्ष, स्थानीय राखियों से बाजार भर गए हैं।

इसके अलावा व्यापारियों के अखिल भारतीय संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) नें भी स्वदेशी राखी को समर्थन किया है। संगठन के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने IANS को कार्य योजना के बारे में कहा कि “हमने अपनी सभी राज्य इकाइयों को सभी राखी निर्माताओं की एक सूची तैयार करने, स्थानीय मांग और आपूर्ति अनुपात से संबंधित डेटा तैयार करने को कहा है जो इस सप्ताह के अंत तक हमें मिल जाएगा रहेगा।”


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Why Shivendra Tiwari is writing this piece?
Shivendra Tiwari is a student of journalism at the University of Delhi. Shivendra comes from a very remote village of Riwa situated in Madhya Pradesh. Shivendra’s knowledge about regional and rural politics defines his excellence over the subject. Apart from FD, he writes for ‘Academics 4 Namo’ and ‘Academics for Nation’ to express the clear picture of right-wing in the rural areas. Moreover, Tiwari Ji is from a science background and had scored more than 95% in his intermediate exams!

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