बिहार

‘SC/ST एक्ट में अग्रिम जमानत नहीं’- कोर्ट ने 4 लोगों को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार

बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय जिले में एससी एसटी एक्ट के एक मुकदमे में पिछड़े वर्ग के चार व्यक्तियों की अग्रिम जमानत को एससी एसटी कोर्ट ने खारिज कर दी।

गिरफ्तारी के डर से धर्मराज साहनी, प्रमोद साहनी, विनोद कुमार और अरविंद साहनी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए न्यायलय में निवेदन किया / याचिका लगाई थी।

आरोपियों पर आईपीसी की धारा 452, 341, 323, 384, 379, 504 और 34 के अन्तर्गत और एससी एसटी एक्ट की धारा 3(l)(r)(s) के तहत मुकदमे दर्ज किया गया था। सुनवाई के दौरान एससी एसटी कोर्ट के स्पेशल जज सुनील वर्मा ने कहा कि एससी एसटी एक्ट के सेक्शन 18, सीआरपीसी के सेक्शन 438 के लाभ को निषेध करता है, जिसके तहत अग्रिम जमानत दी जाती है।

बलिया पुलिस स्टेशन में दायर एफआईआर के अनुसार आरोपी अपने साथ घातक हथियार लिए पीड़ित के घर में घुसे और रंगदारी के रूप में 2 लाख रुपए की मांग करने लगे। यह भी आरोप लगाया कि मुखबिर ने दर के कारण एक सह आरोपी को 50,000 रुपए दिए थे।

यद्यपि पीड़ित ऐसा कोई प्रथम दृष्टया सबूत देने में नाकाम रहा जो कि घटना के घटित होने को सिद्ध करे, जबकि आरोपियों ने दावा किया कि उन्हें जमीन विवाद के कारण जानबूझकर झूठे मुकदमे में फंसाया जा रहा है। कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि एससी एसटी एक्ट के सेक्शन 18 के विशेष प्रावधान के तहत अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है।

जस्टिस सुनील वर्मा ने न्यायिक आदेश में कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और लालबाबू शाह बनाम बिहार सरकार के मुकदमे में माननीय न्यायालय के निर्णय के सम्मान में और एससी एसटी एक्ट के सेक्शन 18 के विशेष प्रावधान के कारण मुकदमे में अग्रिम जमानत संधारित नहीं को का सकती है, इसलिए वे सीआरपीसी के सेक्शन 438 के प्रावधानों का लाभ देने के इच्क्षुक नहीं है। कोर्ट का यह निर्णय कई मायनों में भ्रमित करता है क्योंकि उच्च न्यायलयों द्वारा पीड़ित को अग्रिम जमानत दी गई थी।

क्या कहता है एससी एसटी एक्ट का सेक्शन 18

एससी एसटी एक्ट की धारा 18 में यह उल्लेखित किया गया है कि धारा 438 (गिरफ्तारी की आशंका वाले व्यक्ति को जमानत देना) एससी एसटी एक्ट के तहत अपराध करने वाले व्यक्तियों पर लागू नहीं होती। इसलिए इन मामलों में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है।

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