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अब बिहार के महा दलित ने लगाई आरक्षण में बदलाव करने के लिए याचिका, कहा दो वर्गों में भेदभाव बढ़ा रहा है

सीतामढ़ी: बिहार के बेहद पिछड़े इलाके से आने वाले गरीब दलित समुदाय के एक दलित युवक ने जातिगत आरक्षण के खिलाफ जनहित याचिका लगाई है।

सीतामढ़ी के बड़हरवा ग्राम से आने वाले दलित मधुरेन्द्र पासवान ने जातिगत आरक्षण से गरीब दलितों को न मिलने वाले फायदे को देखते हुए यह जनहित याचिका लगाई है। दलित मधुरेन्द्र पासवान ने भारत के राष्ट्रपति व सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश के समक्ष इस याचिका को भेजा है।

मधुरेन्द्र ने बताया कि उनके पिताजी मजदूरी कर घर का पेट पालते थे बावजूद उन्हें कभी आरक्षण का फायदा नहीं मिल पाया। उनके आस पास वंचित दलितों को तो आरक्षण का असल मतलब तक नहीं पता जिसका पूरा फायदा अमीर दलित उठा ले जाते है।

जिसके बाद तंग आकर उन्होंने कई बार अपना आरक्षण छोड़ने व जातिप्रमाण पत्र को लौटने के लिए डीएम को पत्र लिखा लेकिन कोई जवाब नहीं आया।

वहीं इस दलित युवा का मानना है कि आरक्षण के चलते उनकी एक समाज से दुरी बढ़ गयी है व जातिवाद अब सही मायनो में आरक्षण की ही देन है। मधुरेन्द्र ने अपनी याचिका से साथ ही यह मांग की है कि आरक्षण में ऐसा प्रावधान होना चाहिए जिसमे जो व्यक्ति इसे छोड़ना चाहे वह इसे छोड़ सके।

मधुरेन्द्र पासवान ने अपने तर्कों को बढ़ाते हुए कहा कि अमीर दलित व अफसरों के बेटे सारी मलाई चाट जाते है। उनके मुताबिक जिनका बच्चा कभी AC के बिना बाहर नहीं निकला हो वह अपने को शोषित वंचित कहकर गरीब दलितों का आरक्षण खा जाता है फिर सोशल मीडिया में दलितों पर अत्याचारों का रोना रोता है।

प्रार्थी दलित युवक ने मुख्य न्यायधीश से अपील करते हुए कहा कि बाबा साहब आंबेडकर ने जब आरक्षण को दस वर्षो के लिए किया तो नेता अपने फायदे के लिए बार बार इसे क्यों बढ़ा रहे है ?

साथ ही मधुरेन्द्र ने मांग करी कि इन अमीर दलितों को आरक्षण के फायदे से दूर किया जाना चाहिए ताकि असल में वंचितों को इसका फायदा मिल सके।


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