शास्त्री जी मां से अपने आप को रेलमंत्री नहीं रेल कर्मचारी बताते थे- ऐसे थे अपने शास्त्री जी
लोगों ने पूछा क्या नाम है जब उन्होंने नाम बताया तो सब चौंक गए बोले, ‘यह झूठ बोल रही है’।
पर वह बोली, ‘नहीं वह आए हैं’।
लोगों ने उन्हें लाल बहादुर शास्त्री जी के सामने ले जाकर पूछा,’ क्या वही हैं?’
तो मां बोली ‘हां वह मेरा बेटा है’ लोग मंत्री जी से दिखा कर बोले ‘क्या वह आपकी मां है’
तब शास्त्री जी ने अपनी मां को बुला कर अपने पास बिठाया और कुछ देर बाद घर भेज दिया।
तो पत्रकारों ने पूछा ‘आपने उनके सामने भाषण क्यों नहीं दिया’ तो वह बोले-
‘मेरी मां को नहीं पता कि मैं मंत्री हूं। अगर उन्हें पता चल जाए तो वह लोगों की सिफारिश करने लगेगी और मैं मना भी नहीं कर पाऊंगा।….. और उन्हें अहंकार भी हो जाएगा।’
जवाब सुनकर सब सन्न रह गए।
हालांकि शास्त्री जी के बारे में इसके अलावा कई बातें हैं जिन्हें हम शायद अच्छी तरह से न जानते हों वैसे शास्त्री जी का पूरा नाम था लाल बहादुर वर्मा था, शास्त्री जी कायस्थ परिवार से आते थे जहां श्रीवास्तव व वर्मा उपनाम लगाते थे। लेकिन स्नातक डिग्री, काशी विद्या पीठ में उनको शास्त्री की उपाधि मिली तो उन्होंने श्रीवास्तव त्याग दिया।
इसके अलावा दहेज को भी उन्होंने अस्वीकार कर दिया था।
एक बार, जब उनके बेटों ने कार्यालय की कार ली तो उन्होंने उसका किराया भरा था।
उनकी शक्ति का उन्होंने कभी दुरुपयोग नहीं किया ईमानदार और अनुशासित, यात्रा के काम पर भी कोई बहाना नहीं था जय जवान, जय किसान, जो आदमी दूसरे के काम में आया था उसे कभी नहीं भूलता।
ऐसे बेमिसाल व्यक्ति को हम अपने धरती में पाकर धन्य हो गए और आने वाली पीढ़ियों को उनके इस अप्रतिम व्यक्तिव के बारे जरूर बताएंगे ।