‘हिंदू धर्म पर वेबसीरीजों को देखकर पास करे IB की कमेटी’- आध्यात्मिक गुरु ने उठाई माँग
नई दिल्ली: अब वेब सीरीजों के हिंदू विरोधी होने की बात आध्यात्मिक गुरु ने कही है।
आज सूचना क्रांति के दौर ऊपर से कोरोना महामारी के कारण मनोरंजन का साधन ऑनलाइन उपलब्ध हो रहा है। इन्हीं मनोरंजन के लिए आज की युवा पीढ़ी वेब सीरीज़ पसंद करती है। हालांकि इन सीरीजों पर देश की भावनाओं, सनातन संस्कृति के खिलाफ व अश्लीलता भरी सामग्रियों को फैलाने का आरोप लगा है।
इसी बीच TV चैनलों में आध्यात्मिक दुनिया का प्रतिनिधित्व करने वाले आध्यात्मिक गुरु स्वामी दीपांकर ने वेब सीरीजों को हिंदू विरोधी करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि “बीते कई दिनों से OTT प्लैटफॉर्म्स पर हिंदू धर्म से जुड़ी कई सीरीज़ में नकारात्मक छवि पेश करके दिखाया गया है।”
आगे उन्होंने उपर्युक्त वेब सीरीजों पर नियमन के लिए केंद्र के सूचना प्रसारण मंत्रालय के दखल की माँग की है। स्वामी दीपांकर ने कहा कि “केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से अनुरोध है कि धर्म से जुड़े किसी भी सीरीज़ को मंत्रालय की कोई कमेटी पहले देखकर उसे पास करे, नहीं तो देश के युवाओं में मतिभ्रम पैदा होगा।”
बीते कई दिनों से OTT प्लैटफॉर्म्स पर हिंदू धर्म से जुड़ी कई सीरीज़ में नकारात्मक छवि पेश करके दिखाया गया है। @prakashjavdekar जी आपसे अनुरोध है कि धर्म से जुड़े किसी भी सीरीज़ को मंत्रालय की कोई कमेटी पहले देखकर उसे पास करे, नहीं तो देश के युवाओं में मतिभ्रम पैदा होगा।
— Swami Dipankar (@swamidipankar) September 3, 2020
वेबसीरीजों पर लगाम के लिए IB की ये योजना:
हाल के दिनों में OTT प्लेटफॉर्म पर पाताललोक जैसी हिन्दू विरोधी वेबसीरीज पर मोदी सरकार नए कदम उठा रही है। जुलाई में आई रिपोर्ट के मुताबिक सूचना प्रसारण मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा था कि “सूचना और प्रसारण (I&B) मंत्रालय ने उन कंटेंट को अपने दायरे में लाने का प्रस्ताव किया है, जो कई (OTT) प्लेटफार्मों पर स्ट्रीम की जा रही है।”
वर्तमान में, ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जो डिजिटल रूप से कंटेंट स्ट्रीम किए जाते हैं, वो सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (आईटी) के अंतर्गत आते हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने कहा था कि “ओटीटी एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो आईटी मंत्रालय के दायरे में आएगा लेकिन अब हम एक निर्णय ले रहे हैं कि सामग्री आई बी मंत्रालय के दायरे में आनी चाहिए।”
खरे ने कहा था कि “भारत में नियामकों को प्लेटफॉर्म के अनुसार विकसित किया गया है और देश में ओटीटी खिलाड़ियों की तरह उभरते मीडिया के लिए कोई नियम नहीं हैं। उन्होंने कहा, “पांच अलग-अलग मीडिया – प्रिंट, रेडियो, टीवी, फिल्मों और ओटीटी – में से चार में कुछ प्रकार की विनियामक प्रथाएं हैं और एक अनियमित है।”
Donate to Falana DIkhana: यह न्यूज़ पोर्टल दिल्ली विश्विद्यालय के मीडिया छात्र अपनी ‘पॉकेट मनी’ से चला रहे है। जहां बड़े बड़े विश्विद्यालयों के छात्र वामपंथी विचारधारा के समर्थक बनते जा रहे है तो वही हमारा पोर्टल ‘राष्ट्रवाद’ को सशक्त करता है। वही दिल्ली विश्विद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ रहे हमारे युवा एडिटर्स देश में घट रही असामाजिक ताकतों के खिलाफ लेख लिखने से पीछे नहीं हटते बस हमें आशा है तो आपके छोटे से सहयोग की। यदि आप भी हम छात्रों को मजबूती देना चाहते है तो कम से कम 1 रूपए का सहयोग अवश्य करे। सादर धन्यवाद, ‘जयतु भारतम’