“My name is John, I love you and Jesus loves you” ही कह पाए थे एलन इतने में मार दिया आदिवासियों ने तीर !
जॉन एलन के परिवार ने इंस्टाग्राम पर लिखे पोस्ट के जरिये उन आदिवासियों को माफ़ करने का निर्णय लिया है जिन्होंने जॉन एलन चाऊ कि हत्या कर दी थी।
अंडमान एंड निकोबार(सेंटिनल द्वीप) : मानव सभ्यता हमेशा से ही आपस में एक दूसरे से मेल मिलाप के जरिये एक दूसरे कि भाषा, संस्कृति और समाज को समझती आयी है पर आज भी ऐसी कई जनजातियाँ दुनिया भर में पाई जाती है जो दुनिया से पूरी तरह कटी हुई है यह जनजातियाँ किसी भी प्रकार का बाहरी दखल अपने अस्तित्व पर हमला मानती है।
भारत के अंडमान द्वीप पर पांच ऐसी ही अति दुर्लभ जनजातियाँ पाई जाती है जिनमे मानव सभ्यता से अलग थलग पड़ी जारवा और सेन्टीलीज़ जनजातियाँ शामिल है। पोर्ट ब्लेयर से 50 किमी दूर स्थित उत्तरी द्वीप में पाई जाने वाली सेंटिनल जनजाति कि जनसंख्या 15 से 150 के बीच बताई जाती है हालाँकि 2011 कि जनगढ़ना के अनुसार सेंटिनल द्वीप पर कुल 10 घर है जिनमे 15 लोग ही रहते है, 12 पुरुष व तीन महिलाये।
पूरी तरह से बाहरी संपर्क से कटे इस जनजाति को देखने कि होड़ भी पर्यटकों में रहती है परन्तु मेल मिलाप करने से परहेज के कारण व इनकी संस्कृति व सभ्यता को सजोने के लिए इस द्वीप पर जाने पर प्रतिबन्ध भारत सरकार द्वारा लम्बे अरसे से लगाया हुआ है। अभी हाल ही में अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ कि हत्या ने इस जनजाति को एक बार फिर सुर्खियों में बना दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जॉन चाऊ क्रिस्चियन मिसिनरी से जुड़ा हुआ था जो आदिवासियों में जीसस का प्रचार प्रसार करना चाहता था। अक्टूबर में अंडमान निकोबार घूमने आये जॉन चाऊ ने नवंबर में सेन्टीलीज़ से मिलने का मन बनाया परन्तु दो बार उन्हें असफलता हाथ लगी जिसके बाद तीसरी बार उन्होंने स्थानीय मछुआरो को 25000 रूपए देकर गैर क़ानूनी रूप से इन आदिम समूहों से मिलने का मन बनाया।
द्वीप पर जाने से पहले जॉन एलन ने इंस्टाग्राम पर नाव के साथ अपनी एक फोटो भी अपलोड करी थी जिसमे जॉन काफी खुश नजर आ रहे थे ।
इसके पहले भी जॉन ने सेंटिनल द्वीप पर उतर कर लोगो से मिलने चाहा था, वाशिंगटन पोस्ट को हाथ लगे एक दस्तावेज के अनुसार उन्होंने इस आदिम जनजाति से हाथ हिलाते हुए कहा था कि “My name is John, I love you and Jesus loves you.” जिसके बाद उन्हें एक तीर आकर लगा था पर सीने पर बाइबिल लगे होने के कारण उनकी जान बच गयी थी। 14 व 16 नवंबर को नाकाम हुई दो कोशिशो के बावजूद एलन अगले दिन यानी कि 17 नवंबर को वापस प्रतिबंधित द्वीप पर गए जहा सेंटिनल आदिवासियों ने उनकी हत्या कर दी, स्थानीय मछुआरो के अनुसार आदिवासियों ने उनपर तीर व भाले से वार किये जिसके कारण उनकी वहीं मौत हो गयी।
वहीं मामले कि जानकारी मिलने के बाद अंडमान पुलिस ने दो अलग अलग केस दर्ज कर जॉन के दोस्तों और मछुआरो जिन्होंने जॉन एलन को द्वीप पर पहुँचने में मदद कि थी उन सभी को गिरफ्तार कर लिया है।
वहीं जॉन एलन के परिवार ने इंस्टाग्राम पर लिखे पोस्ट के जरिये उन आदिवासियों को माफ़ करने का निर्णय लिया है जिन्होंने जॉन एलन चाऊ कि हत्या कर दी थी।
सरकार द्वारा 1956 में बनाये कानून से इसे प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया है, सेंटिनल जनजाति आज भी जंगली शिकार, नारियल पानी व जंगली फलो से अपना पेट भरते है। सरकार द्वारा सेंटिनल जनजाति के लोगो से मेल मिलाप बढ़ाने के कई प्रयास किये गए है परन्तु हर बार सरकार को निराशा ही हाथ लगी है।
2004 में आयी बाढ़ में सरकार द्वारा इनकी सहायता करने का प्रयास किया गया था जो पूर्ण रूप से असफल रहा था, राहत सामग्री को हेलीकाप्टर से पहुंचाने का प्रयास किये जाने कि जब कोशिशे कि गई तो इस जनजाति के लोगो ने तीर व भाले से हेलीकाप्टर पर हमला बोल दिया था।
किसी बाहरी मानव पर हमले कि यह पहली घटना नहीं है दरअसल 1981 में कार्गो शिप में सवार कर्मियों पर इस जनजाति के लोगो ने हमला बोल दिया था जिसके बाद हेलीकाप्टर से कर्मियों को बचाया गया था वहीं 2006 में भी इस आदिम जनजाति ने दो नाविकों कि हत्या कर दी थी।
क्यों जरुरी है इनको बाहरी समाज से बचाना
दरअसल बिमारी के लिहाज से यह प्रजाति बेहद संवेदनशील होती है, इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद नीचले स्तर कि होती है इसलिए अगर कोई सामान्य बिमारी वाला मानव इनके संपर्क में आ जाये तो माना जाता है कि इससे यह पूरी जनजाति नष्ट हो सकती है।
अंडमान निकोबार में रहने वाली अन्य जनजातियाँ
जारवा, ओंगी, ग्रेट अंडमानीज, सेन्टलिज, बो और शोमपनी जनजातियाँ अंडमान निकोबार के अलग अलग द्वीपो पर पाई जाती है जिनमे सेन्टलिज और जारवा सबसे खतरनाक मानी जाती है।
अंडमान निकोबार में कुल 572 द्वीप है जिनमे से सिर्फ 37 द्वीपों में जनसख्या है बाकी पूरी तरह से वीरान पड़े है।
अंडमान निकोबार का सेंटिनल द्वीप आता है एक्सक्लूशन जोन में
1991 में भारत सरकार द्वारा सेंटिनल द्वीप पर जाने को लेकर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया था जिसके बाद इसे एक्सक्लूसिव जोन घोषित कर इस टापू पर जाने कि मनाही चस्पा कर दी गई । आपको हम बताते चले कि वैसे तो इस द्वीप पर जाना गैर क़ानूनी है परन्तु इसी साल अप्रैल में नार्थ सेंटिनल को उन 29 द्वीपों कि सूचि से हटा दिया था जहा विदेशियों का पहले से ली गई अनुमति के बिना जाना मना है ।