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SC-ST एक्ट पे आमरण अनशनकर्ता किशन बोले थे, ‘इसी दिन के लिए मोदी लाए थे क्या?’
कानपुर (UP) : एट्रोसिटी एक्ट के ख़िलाफ़ अकेले आमरण अनशन करने वाले युवा बोले थे इसी दिन के लिए BJP को वोट देके मोदी को लाए थे ?
मोदी सरकार के एससी एसटी एक्ट संशोधन बिल को लेकर उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक अलग तरह का विरोध देखने को मिला था । यहां एक्ट को तत्काल वापसी के खिलाफ एक युवक अकेले ही 24 घंटे से आमरण अनसन पर बैठ गया है था ।
दरअसल ये घटना पिछले साल अक्टूबर की थी लेकिन सोशल मीडिया पर आजकल अकेले आमरण अनशन करने वाले युवक की हर कोई तारीफ़ कर रहा है ।
कौन कमबख्त कहता है – अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, यहां तो पूरा #कानपुर शहर ही हिल गया।#SCSTAct के संशोधित कानून से नाराज बर्रा निवासी पेशे से एमआर #किशन_भट्ट पिछले 27 घण्टे से शास्त्री चौक पर शास्त्रीजी की प्रतिमा के नीचे अनशन कर रहे हैं।@narendramodi https://t.co/gcduOv0cnp
— अरुण वाजपेयी #राजन (@ArunbajpaiRajan) September 16, 2018
सोशल मीडिया पर उनके जज़्बे को लोग सलाम कर रहे हैं । तो आइए उस शख्स यानी किशन भट्ट के बारे में फलाना दिखाना की रिपोर्ट के माध्यम से उस घटनाक्रम के बारे में कुछ और बातें जानते हैं ।
दरअसल देश की राजनीति का सड़क कहे जाने वाले उत्तरप्रदेश के कानपुर जिले के बर्रा -2 इलाके के रहने वाले किशन भट्ट, पेशे से MR हैं, किशन नें जब ये जाना था कि एससी एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी का कानून को मोदी सरकार ने लागू कर दिया है । उसके बाद से ही किशन जगह-जगह इस कानून के खिलाफ अपने साथियों के प्रदर्शन कर हे थे। यहां तक उन्होंने इसके लिए उस समय के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय में ख़त लिखा था । मगर जब किशन की बात कहीं नहीं सुनी गई तोथक हार के वो कानपुर दक्षिण के चर्चित शास्त्री चौक चौराहे पर आमरण अनशन पर बैठ गए थे ।
किशन नें विभन्न मीडिया चैनलों पर अपनी मांग रखी थी और उस एक्ट से जुड़ी कुछ बातें भी कही थी ।
किशन नें माँग की थी कि जब तक देश मे लागू हुये एससी-एसटी एक्ट जो कि काला कानून है, जिसे सरकार वापस नहीं ले लेती है तब तक वह यही आमरण अनशन पर बैठ रहेगा, फिर चाहे उसकी जान ही चली जाये ।
किशन भट्ट ने ABP वेब पर कहा था कि “हम अपनी आने वाली पीढ़ी को कैसा देश बनाकर दे रहे हैं जहां जातीवाद पर इतना कठोर कानून बना दिया, जिसने वो अपराध किया भी न हो तो उसे जेल की सजा कटनी पड़ेगी ।
उन्होंने एक उदहारण देते हुए कहा कि “अगर मैं बाइक से सड़क पर जा रहा हूं, मेरी बाइक की टक्कर किसी राह चलते इंसान से हो जाये और मेरी उससे कहा सुनी हो जाये और वो इंसान अनुसूचित जाति का हो तो वो मुझ पर एट्रोसिटी एक्ट लगवा सकता है। राह चलते मुझे तो नहीं पता कि वो इंसान हिन्दू है, मुस्लिम है या अनुसूचित जाति का है । वोट बैंक की राजनीति में हमारे राजनेता इस तरह का अंधा कानून वो भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट कर संसद में पास करा रहे हैं ।”
इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ भी की और यहाँ तक बताया कि उन्होंने भाजपा को वोट भी दिया था लेकिन इस एक्ट के कारण वो उनसे भी दुखी हैं।
किशन नें कहा था कि “क्या इसी दिन के लिए हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुना था, मैंने भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट दिया था, लेकिन जब से ये कानून पास हुआ है. समझ में आ गया कि ये पार्टी अब सवर्णों की नहीं रही है। अनुसूचित जाति भी इसी देश नागरिक है और हमारे भाई बंधू है उनसे भी हमारी सहानभूति है. लेकिन वोट बैंक की राजनीती ने हिन्दू समाज को भी बांटने का काम किया जा रहा है ।”
इसके बाद किशन नें जतिगत राजनीति पर प्रहार करते हुए कहा था कि “आने वाली पीढ़ी को हमें विकासशील नहीं बल्कि विकसित देश देने की विषय में सोचना चाहिए था । हमारे राजनेता आज भी जातिवाद का जहर घोलने का काम कर रहे हैं । हम लड़ना नहीं चाहते हैं फिर भी हमें लड़ाने की राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा था कि कुछ भी हो मैं अपने आमरण अनशन से पीछे हटने वाला नही हूं मैं कोई नेता नही हूं ना ही मुझे राजनीति करनी है । मैं एक आम हिन्दुस्तानी हूं और अपने हक की लड़ाई के लिए मुझे जो भी करना पड़ेगा वो मैं करूंगा ।
हालांकि बाद में किशन के दोस्तों ने उनकी हालत देखकर काफ़ी समझाया था और लगभग 30 घण्टों के बाद किशन नें अनशन खत्म करा दिया था ।