गरीब ब्राह्मणों को शिक्षा, रोजगार, शादी, कोचिंग, छात्रवृत्ति के लिए योजनाएं शुरू करने वाला देश का इकलौता राज्य होगा कर्नाटक
बंगलौर: कर्नाटक की भाजपा सरकार ने ब्राह्मणों के कल्याण का बीड़ा उठाया है। कर्नाटक सरकार ने ब्राह्मणों की पीड़ादायक स्तिथि को देखकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ब्राह्मण विकास बोर्ड का गठन किया है। जिसका चेयरमैन एच एस सच्चिदानन्द मूर्ति को बनाया गया है।
बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार कर्नाटक में सामाजिक रूप से पिछड़े ब्राह्मण समुदाय के उत्थान के लिए यह घोषणा की गई है। ब्राह्मण विकास बोर्ड के ऑनलाइन पोर्टल में कहा गया है कि “ब्राह्मण समुदाय की मदद और उत्थान और कर्नाटक में ब्राह्मण समुदायों में आर्थिक रूप से पिछड़े सदस्यों के समग्र विकास में योगदान”।
इसमें विभिन्न श्रेणियों के तहत ब्राह्मणों के लिए सूची योजनाएं शामिल हैं। जैसे: शिक्षा, कौशल विकास, स्वरोजगार, बुनियादी सुविधाओं का विकास आदि। इसमें जरूरतमंद ब्राह्मण छात्रों के लिए प्री मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रों के लिए छात्रवृत्ति है। भारत और विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कम ब्याज दर पर शैक्षिक ऋण प्रदान करने के लिए बैंकों के साथ समन्वय होगा।
वैदिक छात्रों/विद्वानों/संस्कृत छात्रों को वित्तीय सहायता दी जाएगी। यह बोर्ड उन ब्राह्मण छात्रों को मुख्य परीक्षा के लिए प्रशिक्षण प्रदान करेगा जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है।
अब कर्नाटक के आर्थिक रूप से कमजोर ब्राह्मण इसके लिए आवेदन कर राज्य में जाति और आय प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते है।
कर्नाटक राज्य ब्राह्मण विकास बोर्ड ने ब्राह्मण कल्याण के लिए निम्न योजना स्वीकृत की हैं:
◆संदीपनी योजना के तहत प्री मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रों को 15000 रुपए की छात्रवृत्ति स्वीकृत की हैं। साथ ही ब्राह्मण विद्यार्थियों को कम ब्याज दर पर शैक्षिक ऋण प्रदान किया जाएगा।
◆विश्वामित्र प्रतिभा पुरस्कार के अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिभावान छात्रों का सम्मान किया जाएगा।
◆चाणक्य प्रशासनिक प्रशिक्षण योजना के अन्तर्गत उन छात्रों को यूपीएससी की मुफ्त कोचिंग दी जाएगी जिन्होंने प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है।
◆सानिद्धी योजना के अन्तर्गत ब्राह्मण छात्र और छात्राओं के अलग अलग छात्रावास बनाए जाएंगे।
ज्ञात हो ब्राह्मण संगठनों की मांग है कि कर्नाटक की तरह हर राज्य में ऐसी योजनाएं लागू हो ताकि समाज के अंतिम छोर पर बैठे ब्राह्मण समाज को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। लेकिन वर्तमान समय में कोई राज्य सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठा रही है।