विधानसभा चुनाव से पहले कर्नाटक सरकार का बड़ा फैसला, बढ़ाया जाएगा एससी एसटी आरक्षण
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बेंगलुरु- विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने एससी और एसटी आरक्षण को बढ़ाने पर सहमति जताई है, जहां शुक्रवार को आयोजित सर्वदलीय नेताओं की बैठक में अनुसूचित जाति आरक्षण को 2 फीसदी और अनुसूचित जनजाति आरक्षण को 4 फीसदी बढ़ाने का फैसला लिया गया हैं।
आज शनिवार को 11:30 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है, जहां इस संबंध में औपचारिक निर्णय लिया जा सकता हैं।
56 फीसदी होगा कुल आरक्षण
वर्तमान में देखा जाए तो कर्नाटक राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 32 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के लिए 3 फीसदी आरक्षण के साथ कुल 50 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है, लेकिन अब इसे बढ़ाकर कुल 56 फीसदी किया जा रहा है।
उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त न्यायाधीश नागमोहन दास की समिति द्वारा अनुसूचित जाति के आरक्षण को 15 फीसदी से बढ़ाकर 17 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को 3 फीसदी से 7 फीसदी करने की सिफारिश की गई थी।
जिसके चलते शुक्रवार को एक सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें विपक्ष के नेताओं सहित पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी शामिल हुए थे। बैठक की अध्यक्षता कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई द्वारा की गई।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि एससी/एसटी समुदायों को आबादी के आधार पर आरक्षण की मांग लंबे समय से चली आ रही है, जिसके बाद सर्वदलीय बैठक में इस संबंध में चर्चा की गई और एससी एसटी आरक्षण को बढ़ाने का फैसला लिया गया हैं।
अन्य राज्यों का हवाला देकर बढ़ाया जा रहा आरक्षण
वहीं कर्नाटक के कानून मंत्री जे सी मधुस्वामी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय है कि राज्यों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन देखा जाये तो अन्य राज्यों ने इस सीमा को पार कर लिया है और संविधान में ऐसा करने के प्रावधान भी मौजूद है।
उन्होंने कहा कि हम इसे नौंवी अनुसूची के तहत पेश करेंगे, क्योंकि इसमें न्यायिक छूट है। तमिलनाडु ने नौंवी अनुसूची के तहत ही आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 69 प्रतिशत कर दिया हैं। हम संविधान में संशोधन करने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश करेंगे।