‘इस्लाम प्रभुत्व बॉलीवुड में शिवाजी व लक्ष्मीबाई पर फिल्में जान दांव पे लगाकर बनाई हैं’- कंगना रनौत
मुंबई: बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने अपने कामों के जरिए शिवसेना व विरोधियों को जवाब दिया है।
बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के मुम्बई बनाम पीओके वाले बयान के बाद अभिनेत्री कंगना रनौत व शिवसेना आमने सामने आ गए हैं। बात इतनी आगे बढ़ गई कि शिवसेना सांसद संजय राउत ने तो कंगना को ‘ह#%मखोर लड़की’ शब्द तक कह दिया।
उधर शिवसेना के मुम्बई में कंगना रनौत को रोकने वाले बयान पर उन्होंने खुली चुनौती दे कर कहा कि “मैं तारीख बताकर मुम्बई एयरपोर्ट पर उतरूंगी, किसी के बाप में हिम्मत है तो रोक ले।”
उधर कंगना ने शिवसेना सहित अपने विरोधियों को सीरियल बयानों में पलटवार करते हुए जवाब दिए। पहले कंगना ने सिनेमा में मराठा गौरव की सामग्री को लेकर कहा कि “महाराष्ट्र के लिए अपना प्यार दिखाने वाले सभी चापलूसों को पता होना चाहिए कि मैं मराठा गौरव शिवाजी महाराज और रानी लक्ष्मीबाई को बड़े पर्दे पर लाने के लिए हिंदी सिनेमा के इतिहास में पहली अभिनेता / निर्देशक हूं। और मुझे उन्हीं लोगों के द्वारा रिलीज होने पर सबसे ज्यादा विरोध भी झेलना पड़ा।”
कंगना ने फिर बॉलीवुड में इस्लामिक प्रभुत्व का दावा करते हुए जवाब देकर कहा कि “इनकी औक़ात नहीं है, इंडस्ट्री के सौ सालों में एक भी फ़िल्म मराठा गौरव पे बनाई हो, मैंने इस्लाम डॉमिनेट इंडस्ट्री में अपनी जान और करियर को दाँव पे लगाया, शिवाजी महाराज और रानी लक्ष्मीबाई पे फ़िल्म बनाई, आज महाराष्ट्र के इन ठेकेदारों से पूछो किया क्या है महाराष्ट्र के लिए ?”
एक जवाब में खुद को मराठा बताते हुए कंगना ने कहा कि “किसी के बाप का नहीं है महाराष्ट्र, महाराष्ट्र उसी का है जिसने मराठी गौरव को प्रतिष्ठित किया है। और मैं डंके की चोट पे कहती हूँ कि हां मैं मराठा हूँ, उखाड़ो मेरा क्या उखाड़ोगे ?”
अगले जवाब में महाराष्ट्र प्रेम पर कंगना ने कहा कि “एक महान पिता की संतान होना ही आपकी एक मात्र उपलब्धि नहीं हो सकती, आप कौन होते हैं मुझे महाराष्ट्र प्रेम या नफ़रत का सर्टिफ़िकेट देने वाले ? आपने यह कैसे निर्धारित कर लिया कि आप महाराष्ट्र को मुझसे ज़्यादा प्रेम करते हैं ? और अब मुझे वहाँ आने का कोई हक़ नहीं।”
अंत में मेनस्ट्रीम सिनेमा में मराठा फिल्मों के मुद्दे पर जवाब में कहा कि “शर्म नहीं आती, अकबर और दाऊद पे कितनी फ़िल्में बनाई है ? कितनी बड़ी बड़ी फ़िल्में बनाई गयी हैं, ये मिला मराठाओं को अपने खून के बलिदान के बदले ? इनमें से एक भी फ़िल्म शायद मेन्स्ट्रीम हिंदी नहीं है या फिर रिलीज़ नहीं हुई किसी ने तो कभी सुना भी नहीं इनके बारे में।”
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