दुनिया में गूँजी हिंदू सभ्यता, कोरोना बचाव पे बोले इजरायली PM ‘नमस्ते’ करें लोग !
जेरूसलम (इजराइल) : कोरोना से बचाव के लिए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू बोले हाथ मिलाने की जगह नमस्ते कह कर अभिवादन करें।
हजारों साल पुराने सनातन परंपरा के अभिवादन तरीके “नमस्ते” को अब वैश्विक पहचान मिली है। ये तब हुआ है जब पूरी दुनिया घातक कोरोना वायरस की चपेट में आ चुकी है।
WHO से लेकर स्वास्थ्य से जुड़े हर संगठन कोरोना से बचाव के लिए अभिवादन स्वरूप हाथ मिलाने को निषेध करार कर रहे हैं।
वहीं इज़राइल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कोरोना के प्रसार को कम करने के लिए पूरी दुनिया भारत की अभिवादन शैली अपनाने की सलाह दी है।
दरअसल कोरोना वायरस पर जब नेतन्याहू एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे उसमें उन्होंने इजरायली नागरिकों को अभिवादन की शैली को भारत के नमस्ते अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
Prime Minister of Israel Benjamin Netanyahu @netanyahu encourages Israelis to adopt the Indian way of greeting #Namaste at a press conference to mitigate the spread of #coronavirus pic.twitter.com/gtSKzBDjl4
— India in Israel (@indemtel) March 4, 2020
दरअसल भले दुनिया आज नमस्कार या नमस्ते अभिवादन शैली को स्वीकार करने को मजबूर हो गया लेकिन भारत में हिन्दू धर्म में वैदिक कालों से ही ये शैली प्रचलित रही है।
इसके इतिहास में जाएं तोन मस्ते शब्द वेद में मिलता है, साथ ही सत्य शास्त्रों और आर्य इतिहास (रामायण, महाभारत आदि) में ‘नमस्ते’ शब्द का ही प्रयोग हर जगह पाया जाता है। पुराणों आदि में भी नमस्ते प शब्द का ही प्रयोग पाया जाता है।
उदाहरण के लिए :
1. “दिव्य देव नमस्ते अस्तु” (अथर्व वेद 2/2/1)
अर्थात “हे प्रकाशस्वरूप देव प्रभो आपको नमस्ते होवे”
2. “नमस्ते भगवन्नस्तु”– (यजुर्वेद 36/21)
अर्थात “हे ऐश्वर्यसम्पन्न ईश्वर ! आपको हमारा नमस्ते होवे।”
नमस्ते या नमस्कार मुख्यतः हिन्दुओं और भारतीयों द्वारा एक दूसरे से मिलने पर अभिवादन और विनम्रता प्रदर्शित करने वाला शब्द है। यह शब्द संस्कृत के नमस शब्द से निकला है।
नमस्ते या नमस्कार को संस्कृत में विच्छेद करें तो हम पाएंगे की नमस्ते दो शब्दों से बना है नमः + अस्ते। नमः का मतलब होता है झुक गया और असते मतलब मेरा अहंकार से भरा सिर आपके सामने झुक गया।