ICJ में पाक की दलील, कहा ‘कुलभूषण को खुद भारतीय मीडिया नें माना जासूस’
भारतीय राजनीति में ऐसा कहा गया है कि "हमे भारत और भारत सरकार में भेद समझना चाहिये"। कोई भारतीय, भारत सरकार का विरोधी हो सकता है, परन्तु वह भारत का विरोधी नहीं हो सकता है।
नई दिल्ली :- भारत के पूर्व नौसैनिक कुलभूषण जाधव को लेकर अंतर्राष्ट्रीय अदालत में हो रही सुनवाई में एक ऐसा मोड़ आया है, जिसके कारण देश में बैठे बुद्धिजीवियों के विचारों पर एक बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा हो रहा है। दरअसल, पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में कहा है कि खुद भारत के कुछ बुद्धिजीवियों का मानना है कि कुलभूषण जाधव जासूस है।
भारत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अदालत में पाकितान पर “विएना संधि” 1963 के उल्लंघन का आरोप लगाया है। भारत का पक्ष रख रहे वकील हरीश साल्वे ने कहा है कि “भारत ने 18 बार कुलभूषण जाधव के केस में काउंसलर एक्सेस माँगा है, लेकिन पाकिस्तान ने उसे काउंसलर एक्सेस नहीं दी गयी।
इसके जवाब में कल जब पाकिस्तान के खवार कुरैशी ने आरोप का जवाब दिया तो उसके पास कोई ठोस सबूत नहीं था, बल्कि उन्होने भारतीय पत्रकार “करन थापर” के द्वारा इंडियन एक्सप्रेस में लिखे गए आर्टिकल का हवाला दिया और पाकिस्तान ने ऐसा कहा है कि उन्होंने अपने आर्टिकल में कुलभूषण जाधव को एक जासूस माना है।
ऐसे में सवाल उन बुद्धिजीवियों पर उठता है जो सरकार के विचारों का विरोध करते-करते देश की सुरक्षा और अखण्डता को भी भूल जाते हैं। एक तरफ जहाँ भारत कुलभूषण को इन्साफ दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है, वहीँ दूसरी तरफ देश के ही कुछ लोग पाकिस्तानी तोते का काम कर रहें हैं।
भारतीय राजनीति में ऐसा कहा गया है कि “हमे भारत और भारत सरकार में भेद समझना चाहिये”। कोई भारतीय भारत सरकार का विरोधी हो सकता है, परन्तु वह भारत का विरोधी नहीं हो सकता है।
जानिए कौन है कुलभूषण जाधव ?
कुलभूषण जाधव महाराष्ट्र का रहने वाला है और पूर्व भारतीय नौसेना का अधिकारी रह चूका है। वर्ष 2017 में पाकिस्तान में उसे ईरान-पाकिस्तान बॉर्डर से अपहरण कर लिए था, जिसके बाद पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने उसे जासूसी के आरोप में फांसी की सजा सुना दी, लेकिन भारत इसके विरोध में अंतर्राष्ट्रीय अदालत में पहुंच गया और उसकी फांसी पर रोक लगवा दी जिसके बाद से कुलभूषण पाकिस्तान की जेल में बंद है।
हम आपको बता दें कि, अगर कोर्ट का कोई फैसला आता है तो वह संयुक्त राष्ट्र के सभी मेंबर को मानना बाध्यकारी होता है, इसलिए पाकिस्तान ने अपनी इज्जत बचाने के लिए कल कोर्ट स्थगित करने की मांग की थी, जिसके बाद कोर्ट ने इससे इंकार कर दिए।