Falana Report

ग्राउंड रिपोर्ट: गुलनाज को जिंदा जलाने में जेल भेजे गए तीन में से दो आरोपी नहीं थे घटना पर मौजूद, मृतका ने खुद लगाई थी आग

वैशाली: बिहार के वैशाली जिले में 20 साल की गुलनाज को तीन लोगो द्वारा जलाये जाने का मामला अब धीरे धीरे राजनितिक रंग लेने लगा है। जिसमे लड़की की अस्पताल में मौत हो जाने व 15 दिन तक आरोपियों को गिरफ्तार न करने को लेकर SHO को ससपेंड भी किया जा चूका है। दरअसल देसरी थाना के अंतर्गत आने वाले रसूलपुर हबीब गांव में आरोप लगाया गया कि बीते 30 अक्टूबर को गांव के 3 लोगो सतीश, चंदन और विजय ने 20 वर्षीय गुलनाज परवीन के साथ छेड़छाड़ की थी। जब लड़की ने इसका विरोध किया तो तीनों लोगो ने लड़की पर केरोसिन डालकर उसे जिंदा जला दिया था। जहां 15 दिन तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद लड़की की मौत 15 नवंबर को हो गई थी। जिसके बाद हरकत में आई पुलिस ने एक आरोपी चंदन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था तो वहीं दो अन्य आरोपियों की तलाश के लिए दबिश दे रही है।

मामले पर राष्ट्रीय मीडिया द्वारा बार बार तीनों आरोपियों को दरिंदो की तरह पेश कर उनके खिलाफ सख्त से सख्त सजा की मांग की जा रही है लेकिन जब हमारी टीम ने इस मामले की पूरी तरह पड़ताल शुरू करी तो सच्चाई जान हमारे भी होश उड़ गए। गाँव में पहुंच जब हामरी टीम ने घटना स्थल पर सबसे पहले पहुंचे लोगो से बात करी तो उन्होंने हमें बताया कि लड़की ने ही खुद को आग के हवाले किया था। जो लोग लड़की को अस्पताल तक ले गए थे उन्होंने भी इसकी पुष्टि करी है। ग्रामीणों के मुताबिक गुलनाज की अपनी छोटी बहन से लड़ाई हो गई थी जिसके चलते उसने खुद को आग लगा ली थी। वहीं पीछे भी कई बार उसने कई लोगो को झूठे केस में फसाया है जिसका समझौता पैसे लेकर किया गया था। इनमे से एक समझौते की कॉपी हमारे पास भी है। जिसमे एक मुस्लिम युवक सोनू के साथ पंचायत में सुलह कराई गयी थी।

लेकिन किसी के पास उस समय की न तो वीडियो मौजूद नहीं थी न ही कोई अन्य प्रमाण जोकि इस बात को प्रमाणित कर सके कि लड़की ने स्वयं को ही आग के हवाले किया था। वहीं मृतका ने खुद अपने बयान में तीनों आरोपियों का नाम लिया था। जिसके बाद हमने तीनों आरोपियों से पीड़ित परिवार के रिश्तो का इतिहास खंगालना शुरू किया। पता करने पर मालूम चला कि आरोपी विजय यादव सतीश का चाचा है व चंदन विजय का पुत्र है। साथ ही आरोपियों का रोड को लेकर गुलनाज के परिवार से पुरानी रंजिश चली आ रही थी। जोकि हमारे इन्वेस्टीगेशन में एक मजबूत कड़ी बनकर उभरी।

विजय घटना के समय चेन्नई व सतीश था पटना में मौजूद
हमारी जांच में हमने पाया कि मुख्य आरोपी बनाये गए विजय व सतीश मौके पर मौजूद ही नहीं थे। हमारी टीम ने दोनों की लोकेशन को खंगाला तो विजय चेन्नई व सतीश पटना में मौजूद मिला। अधिक जानकारी जुटाने पर हमने पाया कि विजय चेन्नई में काम करता है जोकि घटना से 10 दिन पहले यानि की 20 अक्टूबर को ही चेन्नई चला गया था जिसकी टिकट खुद उसके कंपनी मालिक ने कराई थी। चेन्नई में स्थित जिस कंपनी में विजय काम करता है उसके मालिक राधा सोले से जब हमने बात करी तो उन्होंने विजय के 30 अक्टूबर को कंपनी में रहने की बात बताई। साथ ही उन्होंने बताया कि विजय की टिकट उन्होंने ही कराई थी जोकि 20 अक्टूबर की थी जिसकी एक कॉपी उन्होंने हमें भी भेजी है। वहीं विजय के मकान मालिक ने भी उसके घटना वाले दिन चेन्नई में रहने की बाते कही है।

मालिक राधा द्वारा भेजी गई विजय के 20 अक्टूबर को चेन्नई आने की टिकट

वहीं दूसरी ओर सतीश कुमार भी घटना के दिन वैशाली जिले से दूर पटना सिटी में मौजूद था। वह अपने मामा के यहाँ गया हुआ था। जहां तबियत ख़राब होने पर वह खुद को गुरु गोविन्द सिंह सरकारी अस्पताल में दिखाने भी गया था। अस्पताल से पता करने पर हमें उसके वहां रहने की भी पुष्टि हुई है। साथ ही हमें अस्पताल का वह पर्चा भी मिला है जोकि उसके वहीं रहने की पुष्टि करता है। दिलचस्प बात यह निकल कर सामने आई कि अस्पताल में दिखाने का समय भी लड़की के आग लगाने के समय से मिल रहा है।

पटना सिटी के सरकारी अस्पताल में रहने की पुष्टि करता मेडिकल पर्चा

ऐसे में दो लोगो के घटना पर न रहने की सबूतों के साथ हमारी टीम ने अपनी पड़ताल में चीजे खोज निकाली। जोकि ग्रामीणों के उस दावे को प्रबल करते है कि लड़की ने परिजनों के कहने पर तीन निर्दोषो को फसाया है। वहीं तीसरा आरोपी नाबालिक है जोकि घटना के समय अपने घर में मौजूद था।

लड़की ने कहा था तीनों ने पकड़ के लगाई थी आग, जाँच में निकली झूठी
मौके पर पहुंचे कई लोगो ने हमें बताया कि लड़की ने खुद को आग के हवाले किया था। लड़की के परिजनों ने रंजिश के चलते तीन निर्दोषो को फसाया है। वहीं लड़की के साथ शुरू से रहने वाली एक्टिविस्ट किरण ने भी इसकी पुष्टि करी है कि लड़की ने तीनों आरोपियों को फसाया है जबकि आग उसने खुद लगाई थी। वहीं समाजसेविका किरण को भी इन्होने झूठी कहानी बताई थी लेकिन डॉक्टर से बात व लोगो से सच्चाई जानने के बाद से वह गुलनाज के केस से अलग हो गई थी। ज्ञात होकि किरण ने ही गुलनाज के इलाज का सारा खर्च वहन किया था।

हमारी पड़ताल में यह साफ़ निकल कर सामने आया है कि लड़की ने जिन जिन लोगो के नाम लिए है उनमे से दो तो घटना पर मौजूद ही नहीं थे। वहीं दोनों परिवार का रोड को लेकर झगड़ा था। गुलनाज ने बहन से लड़ाई के बाद आवेश में आकर खुद को आग के हवाले कर दिया था। जिसमे लड़की के ऊपर से आत्महत्या का आरोप हटाने के लिए परिजनों ने तीन हिन्दू पक्ष के लोगो को फसा दिया। खैर पुलिस ने दो आरोपियों को जेल भेज दिया व तीसरे की तलाश कर रही है जोकि 20 अक्टूबर से चेन्नई में काम कर रहा है।

आज तक समेत सभी प्रमुख न्यूज़ चैनल ने फैलाया झूठ
आपको बता दें कि इस घटना में बिना जाँच पड़ताल किये आज तक, अमर उजाला, TV 9 भारत, लल्लनटॉप ABP न्यूज़ समेत सभी प्रमुख संस्थानों ने बेहद गलत खबरो का प्रसारण किया है। आज तक(News Archieve Link) ने आरोपियों के लिए बिना जांच पड़ताल किये दरिंदो जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर डाला जोकि पत्रकरिता के दोयम दर्जे को दर्शाता है।

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