CG: पहली बार बिरहोर जनजाति की छात्रा जाएगी कॉलेज, समाज को नहीं पता क्या हैं आरक्षण
झारगाँव: छत्तीसगढ़ के बेहद पिछड़े गाँव से आने वाली बिरहोर जनजाति की कोई छात्रा पहली बार कॉलेज का रुख करेगी। आज़ादी के 70 साल बाद भी आरक्षण पर कुंडली मारे एक समाज के चलते आदिवासियों को ऐसे दिन देखने पड़ रहे हैं।
दुलदुला के छोटे से गांव झारगांव की रहने वाली निर्मला ने हाल ही में आये 12 वी के परिणामों में फतह हासिल करी हैं। निर्मला ने 12 वी में 58 प्रतिशत अंक हासिल किये और अब वह कॉलेज जाना चाहती हैं।
हमारी रिपोर्ट में यह सामने आया हैं कि बिरहोर जनजाति को मिले आरक्षण के बावजूद ऐसा पहली बार होगा कि कोई लड़की पहली बार कॉलेज स्तर की शिक्षा प्राप्त करेगी।
वहीं हैरान करने वाली बात यह हैं कि इस जनजाति के अधिकतर लोगो को आरक्षण योजना के लाभ ही नहीं मालूम हैं ऐसे में आरक्षण की सुविधा पाना तो दूर की बात हैं।
ऐसे में अपनी बिटिया कि सफलता से गदगद पिता कुंवरराम ने कहा कि उनकी बेटी जितना पढ़ना चाहेगी वह उतना उसे पढ़ाएंगे। आगे बातचीत में निर्मला ने बताया कि वह आगे पढ़ लिख कर शिक्षक बनना चाहती हैं ताकि अपने समाज को आगे बढ़ा सके।
निर्मला की इस सफलता पर जशपुर के कलेक्टर महादेव कावरे ने भी ख़ुशी जाहिर करते हुए छात्रा व उनके पिता को अपने कार्यालय पर आमंत्रित किया जहां कलेक्टर साहब ने निर्मला का मुँह मीठा कराया। साथ ही महादेव कावरे ने निर्मला की आगे की पढाई में आने वाले हर खर्च को वहन करने का भी भरोसा दिया हैं।
पहाड़ों में निवासरत है ये जनजाति
जशपुर के अलावा यह जनजाति सरगुजा संभाग के अन्य जिलों में भी जंगलों और पहाड़ों के बीच निवासरत है. जंगल से ही चलने वाली आजीविका और पीढि़यों से विरासत में मिले अभावों के बीच किसी लड़की में शिक्षा के प्रति यह ललक बदलाव का संकेत भी है.
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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem!