फ़िल्म निर्माता दीपक का ऐलान आरक्षण विरोध में फ़िर भारत बंद, PM मोदी को भेज चुके हैं 1 लाख पत्र !
मुंबई : फ़िल्म निर्माता व सामाजिक कार्यकर्ता दीपक नें आरक्षण के विरोध में भारत बंद करने की घोषणा की है।
समय समय पर हर क्षेत्र के लोग अलग अलग सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों को उठाने के लिए जाने जाते हैं।
ऐसे ही चेहरा है दीपक सारस्वत जो सोशल मीडिया पर अपने सामाजिक कार्यों के लिए काफ़ी मशहूर हैं, फेसबुक जैसे सोशल प्लेटफार्म पर दीपक सारस्वत के लाखों फालोवर्स हैं।
पिछले दिनों दीपक सोशल मीडिया पर तब लाइमलाइट में आए जब उन्होंने सामाजिक मुद्दे यानी जातिगत आरक्षण के ख़िलाफ़ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाणिज्यिक राजधानी मुंबई से 1 लाख पोस्टकार्ड भेजे थे।
दीपक सारस्वत के बारे में थोड़ी सी जानकारी दें तो वो मूलतः ग्वालियर, मध्यप्रदेश के हैं पर आजकल वो मुंबई में रहते हैं । दीपक सामाजिक कार्यकर्ता के अलावा फिल्म निर्माता हैं, स्पीकर के तौर पर भी उनकी पहचान है।
दीपक कई न्यूज प्लेटफार्म के मालिक हैं, वो कई कंपनियों में PR भी करते हैं, इसके अलावा सामाजिक कार्यक्रम व बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे सरकारी योजनाओं के लिए प्रचार भी कर चुके हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता व स्पीकर के तौर पर दीपक देश में आरक्षण की जातिगत व्यवस्था के ख़िलाफ़ हैं वो ख़ुद को समाज के अनारक्षित वर्ग मुख्यतः सवर्ण समाज के चिंतक भी बताते हैं।
दीपक नें हाल ही में सामाजिक पहलुओं की आवाज़ उठाने वाली देश की एक मात्र मीडिया प्लेटफॉर्म “फलाना दिखाना” के प्रमुख संपादक शिवेंद्र तिवारी को इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने देश में आरक्षण पर खुलकर विरोध किया।
इंटरव्यू के दौरान संपादक के प्रश्नों के जवाब में दीपक नें कड़े शब्दों में कहा कि “आरक्षण नहीं हटा तो देश विकसित राष्ट्र बनने का सपना भी भूल जाएं”
आगे उन्होंने इस विषय पर भारत की बौद्धिक संपदा के सवाल पर कहा कि “भारत एक प्रगतिशील देश है, विश्व की 5वी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, दुनिया की बेहतरीन कंपनियों में अधिकांश भारतीय कार्यरत हैं। चाहें वो एप्पल सैमसंग या माइक्रोसॉफ्ट ही क्यों ना हो, अमेरिका के स्पेस सेंटर नासा में भी 30% भारतीय वैज्ञानिक काम करते हैं। भारतीय कुशल व मेहनती माने जाते है इसलिए पूरी दुनिया उन्हें काम करने के लिए अपने अपने देश आकर्षित करती है।
बौद्धिक संपदा के पलायन के सवाल में उन्होंने कहा कि “भारत से 40 लाख से ज्यादा युवा भारत से हर साल विदेशों के लिए रुख करते हैं, कुछ काम की तलाश में तो कुछ भारत से नाखुश होकर विदेशों में रहना पसंद करते है।”
‘क्या आरक्षण “राजनीतिक गोल” ?’ है के जवाब में दीपक नें कहा कि “आरक्षण अगर इस देश कि रगों में ना होता तो सभी कुशल और तकनीक ज्ञाता इसी देश में रहकर भारत को मजबूत करते और दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत को आगे ला खड़ा करते। चूंकि आरक्षण प्रतिभाशाली व हुनरबाज़ विद्यार्थियों को यहाँ नौकरी नहीं लगने देता. 90% लाने के बावजूद बच्चे चयन परीक्षाओं में असफल हों जाते है तो ये बच्चे बाहर का रुख अपनाते है।”
दीपक आगे ये भी बोले कि “जातिगत आरक्षण देश से हटेगा तो दुनिया में काम कर रहे प्रतिभाशाली युवकों का ध्यान खींचेगा व अपने देश में सही तकनीकों के कारीगरों की संख्या बढ़ेगी। देश से पलायन रुकने लगेगा फलस्वरूप देश विकाशसील से विकसित होगा, अस्पतालों में कुशल और बेहतरीन डॉक्टर होंगे। इसी प्रकार अच्छे शिक्षक, इंजीनियर व कारीगर देश में उन्नति लाएंगे। भ्रस्टाचार भी कम होगा और देश में भेदभाव ख़त्म होगा वर्ना देश पहले से ही हुनर व प्रतिभाओं को खो रहा है, कहीं ऐसा ना हो देश के सिस्टम में सिर्फ छाछ बाकी रह जाये और पूरी क्रीम देश से बाहर निकल जाये।”
दीपक नें बताया कि “सरकार फिर 2019 के अंत में 10 साल के लिए आरक्षण लागू करने का बिल निकलेगी। लेेकिन सवर्ण समाज विरोध में आवाज़ उठा रहा है। वहीं वो भी मीडिया, लेख से सवर्णों की ताकत बनकर उन्हें समानता की लड़ाई को प्रेरित करते रहेंगे।”