10% आरक्षण को कारोबारी द्वारा सुप्रीमकोर्ट में चुनौती कहा “आर्थिक आरक्षण हो नहीं सकता”
याचिका में संविधान (103वां) संशोधन अधिनियम, 2019 को चुनौती, और याचिका पर इसी हफ्ते सुनवाई होने की संभावना है
नईदिल्ली : सामान्य वर्ग के गरीबों को नौकरियों और शिक्षा में 10% आरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले को एक याचिका के द्वारा देश की सबसे बड़ी अदालत में चुनौती दी गई है।
10% आर्थिक आरक्षण विरोधी तहसीन पूनेवाला कौन हैं…?
इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने वाले व्यक्ति हैं मुंबई के कारोबारी तहसीन पूनावाला जो पेशे से कारोबारी हैं, इसके अलावा वो एक टीवी होस्ट, राजनीतिक विशलेषक हैं |
और उन्होंने ने ही ये याचिका दायर की है और याचिका पर इसी हफ्ते सुनवाई होने की संभावना है। याचिका में संविधान (103वां) संशोधन अधिनियम, 2019 को चुनौती दी गई है।
संविधान में इसी संशोधन के जरिये सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण प्रदान किया गया है। इसमें अधिनियम को रद करने की मांग करते हुए कहा गया है कि आरक्षण के लिए पिछड़ेपन को सिर्फ आर्थिक स्थिति के आधार पर परिभाषित नहीं किया जा सकता।
क्या कहती है तहसीन पूनेवाला की ये याचिका…?
याचिका में कहा गया है ” संवैधानिक संशोधन औपचारिक रूप से उस कानून का उल्लंघन करता है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में इंदिरा साहनी मामले में अपने आदेश से स्थापित किया था। ”
इसमें 9 सदस्यीय पीठ के 1992 के निर्णय को संदर्भित किया गया है जिसे ” इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार ” केस के नाम से भी जाना जाता है। इसमें कहा गया था कि कुल आरक्षण 50% से अधिक नहीं हो सकता, लेकिन इस विधेयक में इसका उल्लंघन किया गया है और यह सीमा 60% तक हो गई है।
याचिका के द्वारा संविधान में जोड़े गए अनुच्छेद 15(6) और 16(6) के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग भी की गई है। इन्हीं अनुच्छेदों के जरिये सरकार को सामान्य वर्ग के गरीबों को आर्थिक आरक्षण देने का अधिकार मिला है।