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क्या आपको पता है ? पंजाब हरियाणा के किसान अपनी फसलों के अवशेष क्यों जलाते हैं ?

दिल्ली वासियों के लिए नवंबर से लेकर मार्च महीने तक का समय बहुत ही कठिन होता है क्योंकि इस समय दिल्ली में वायु प्रदूषण अपने चरम पर होता है बच्चे-बूढ़े, जवान सब अपने मुंह पर मास्क लगाकर घूम रहे होते हैं ! दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों की ही पलटू वादो पर अब दिल्लीवासियों को यकीन नहीं रहा

नई दिल्ली:  जब दिल्ली के वायु प्रदूषण और धुंध के कारणों की चर्चा की जाती है तो सबसे पहले दिल्ली में चलने वाले वाहनों से निकलने वाला धुआ, राजस्थान से चलने वाली धूल भरी आंधियां और पंजाब-हरियाणा के किसानों द्वारा जलाई गई फसलों के अवशेष को मुख्य कारण माना जाता है
लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि पंजाब-हरियाणा के किसान किस फसल को जलाते हैं और क्यों जलाते हैं ?
आपको बता दें कि पंजाब-हरियाणा और राजस्थान की कुछ हिस्सों में धान की खेती काफी बड़े स्तर पर की जाती है धान एक खरीफ की फसल है जिसे जून-जुलाई वाले महीने में बोया जाता है और अक्टूबर नवंबर के महीने में काटा जाता है और इसकी तुरंत बाद ही अक्टूबर नवंबर के महीने में ही रबी की फसल को भी बोना होता है इसलिए किसानों को इस बीच बहुत कम समय मिल पाता है इसलिए किसान धान के अवशेषों को जला देते हैं ऐसा करने में किसानों को समय भी बहुत कम लगता है और मजदूर लागत भी नहीं बढ़ती है|
अगर किसान धान की अवशेषों का निपटान मजदूरों द्वारा करवाते हैं तो फसल की लागत बढ़ जाती है वह किसानों का मुनाफा कम हो जाता है (वैसे भी हमारे देश में किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है| इसका अंदाजा आप पिछले 5 सालों में किसानों की आत्महत्या के आंकड़े उठाकर देख सकते हैं | इसलिए धान की अवशेषों को जलाना एक तरह से किसानों की मजबूरी हो जाती है लेकिन अगर सरकार इस समस्या पर सही से काम करें और किसानों को इसके कुछ दूसरे उपाय सुझाय
written by: rakesh kumar

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