CM शिवराज ने की घोषणा- MP में बनेगा योग आयोग, योग शिक्षा के लिए चलाया जाएगा अभियान
हरिद्वार: मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह वाली भाजपा सरकार ने राज्य में योग के लिए अलग से एक आयोग का गठन करने की घोषणा की है।
गुरुवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ के दौरे पर थे जिसके बाद उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि योग की शिक्षा को हम मध्य प्रदेश में देने का अभियान चलाएंगे। योग आयोग का हम गठन करेंगे और मुझे पूरा विश्वास है कि इससे प्रदेश और देश बदलेगा।
आज के दौरे में मुख्यमंत्री ने योगगुरु बाबा रामदेव के साथ आजादी के 75वें वर्ष में होने वाले 75 करोड़ सूर्य नमस्कार का वर्चुअली शुभारंभ किया।
पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ पर 75 करोड़ सूर्यनमस्कार संकल्प के लिए पंजीकरण का शुभारंभ एवं वेबसाइट का लोकार्पण करने के बाद मुख्यमंत्री ने योग गुरु बाबा रामदेव एवं आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण के साथ सूर्य नमस्कार भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक वैभवशाली, गौरवशाली, संपन्न व समृद्ध भारत का निर्माण हो रहा है, इस ध्येय की प्राप्ति के लिए हमारे योद्धा संन्यासी बाबा रामदेव जी, योग, आयुर्वेद व शिक्षा के माध्यम से योगदान दे रहे हैं। मैं इनका अभिनंदन करता हूं।
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने ‘वैश्विक चुनौतियों का सनातन समाधान- एकात्म बोध’ पर आयोजित संगोष्ठी में विचार साझा किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि विश्व असमानता, गरीबी, अशांति और अब ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। कई मामलों में विश्व कल्याण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व कर रहे हैं। इन समस्याओं का समाधान हमारे सनातन धर्म के मूल में है। ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।’ का मंत्र हमारे ऋषियों ने दिया। विश्व के कल्याण की कामना करने वाला यह देश आज भी दुनिया को राह दिखा रहा है!
“विश्व ने विकास के क्रम में सामाजिक व्यवस्था देखी, औद्योगिक क्रांतियां हुईं और पूंजी का स्वामित्व आया, लेकिन किसी भी दशा में मनुष्य सुख को प्राप्त नहीं कर सका। ऐसे में भारत द्वारा प्रतिपादित दर्शन ही मनुष्य को सुखी करने का मार्ग दिखाता रहा है। भारतीय दर्शन कहता है कि यदि मनुष्य को सुखी करना है तो शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का सुख आवश्यक है। इन चारों के सुख से ही मनुष्य का शरीर सुखी हो सकता है।”
अंत में उन्होंने कहा, “सनातन धर्म में ही देवी-देवताओं के साथ पशु-पक्षी वाहन के रूप में पूजनीय है। हमारे देश में तो पेड़-पौधों को भी पूजनीय माना गया है। ग्लोबल वार्मिंग के दौर में दुनिया चिंतित है और हम आदिकाल से प्रकृति का संरक्षण कर रहे हैं।”