दो साल से गिरा पड़ा है घर, खुले में सो रहे ब्राह्मण परिवार को न आवास योजना न ही मिली आपदा राशि
सुल्तानपुर: उत्तर प्रदेश में जिस तरह से आवास योजना में धड़ल्ले से भ्रष्टाचार के बीज बोये जा रहे है उससे सही मायनो में पात्रता रखने वाले गरीब अपने पक्के मकानों के लिए दर दर की ठोकरे खा रहे है। ऐसी ही कहानी सुल्तानपुर जिले के लंभुआ ब्लाक में रहने वाले सुरेश पांडेय जी की है जोकि किसी तरह टूटे-फूटे कच्चे मकान में अपना गुजारा बसर कर रहे है। पीड़ित परिवार में कुल 5 लोग है जोकि एक छोटे से कच्चे कमरे में खाने रहने व सोने को मजबूर है। घर के अंदर की हालत देख कोई भी यह नहीं कह सकता कि सरकारी योजनाए धरातल तक पहुंच पा रही है।
सुरेंद्र पांडेय ने हमें बातचीत में बताया कि सितम्बर 2019 में उनका घर भारी बारिश में गिर गया था। जिसके कारण अब उनका पूरा परिवार एक बेहद छोटी कोठरी में रहने को मजबूर हो गया है। प्रधान व विधायक दोनों ने मदद का भरोसा दिया लेकिन दो साल बीतने को है अभी तक कोई मदद नहीं की गई है। जिसके कारण उनकी ज़िन्दगी आज दूभर हो चली है।
नहीं मिली आपदा राशि
घर गिर जाने के बाद भी मिलने वाली आपदा राशि से भी सुरेश पांडेय के परिवार को वंचित कर दिया गया। मिट्टी का घर ढहने पर लेखपाल व प्रधान दोनों फोटो लेकर गए लेकिन फिर वापस कभी नहीं आये और न ही कोई मदद ही आ सकी। आपदा राशि न देकर परिवार को उनके हाल पर छोड़ प्रशासन बेफिक्र ढोल बजा सोशल मीडिया पर अपनी उपलब्धियों के पुल बांध रहा है।
परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब, पडोसी ने दी टीन तो बनाई काम चलाऊ छत
आस पास पता करने पर मालूम चला कि बारिश में घर पूरी तरह तबाह हो गया था। आर्थिक स्थिति को देखते हुए पड़ोसियों ने टीन की व्यवस्था कराई जिसके बाद एक काम चलाऊ छत बना कर उसमे परिवार को जीवन व्यापन करना पड़ रहा है। जगह न होने के चलते सुरेश को अकसर ठण्ड में भी बाहर ही रात गुजारनी पड़ती है।
घर में पत्नी व दो बच्चो के साथ एक दिव्यांग बहन भी रहती है जोकि संस्कृत में MA है लेकिन फिर भी नौकरी नहीं मिल पा रही है। किसी तरह घर की दाल रोटी चल रही है। लगातार मकान के गिरने पर गंभीर घटना की आशंका बनी रहती है।
15 हज़ार नहीं दे सके तो किया सूचि से नाम बाहर
सुरेश पांडेय ने हमें बताया कि उनसे 15 हज़ार रूपए मांगे गए थे। देने में असमर्थता जताई तो उनका नाम ही सूचि से बाहर कर दिया। थके हारे सुरेश जी ने फलाना दिखाना को संपर्क कर अपनी व्यथा बताई। उन्होंने हमें बताया कि किसी से मालूम हुआ कि आप सब लोग बहुत पुण्य का कार्य कर रहे है इसलिए संपर्क कर अपनी व्यथा सुनाई।
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