मराठा आरक्षण को चुनौती, 10 दिसंबर को कोर्ट में सुनवाई
देवेंद्र फडनवीस वाली भाजपा सरकार नें विधानसभा में पेश किया था 16% आरक्षण बिल, याचिकाकर्ता नें कोर्ट पहुंचकर बीच में अटकाया रोड़ा
मुंबई : कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र की जनसंख्या के एक बहुत बड़े हिस्से को आरक्षण की खुशखबरी मिली थी लेकिन उस आरक्षण की राह में पहले भी रोड़े अटकते रहे हैं और ठीक इस बार भी वही हुआ है |
16% आरक्षण के खिलाफ़ कोर्ट में पहुंची याचिका :
बीते हफ़्ते महाराष्ट्र की विधानसभा में राज्य सरकार नें महाराष्ट्र की आबादी के 30% वाले भाग जिसमें मराठा समुदाय आता है उसे 16% आरक्षण की सुविधा राज्य की सरकारी नौकरियों व शिक्षण संस्थाओं में दिया था | यह बिल विधानसभा में 29 दिसंबर को सूबे के मुखिया द्वारा सदन के पटल में रखा गया और यह बिल बिना बहस व सवाल के सर्वसम्मति से पास हो गया |
इस नए आरक्षण के प्रावधानों को बाम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई इसलिए फ़िलहाल कोर्ट द्वारा इस पर रोंक लगाई गई थी | मराठा समाज को आरक्षण देने के खिलाफ़ एक याचिकाकर्ता नें सरकार को चुनौती देने के लिए कोर्ट का रूख किया था | उसी याचिका की सुनवाई बाम्बे हाईकोर्ट में इसी महीनें 10 दिसंबर को होगी |
50% से ज्यादा आरक्षण बिना आकड़ों के नहीं हो सकता : कोर्ट
एक बात यह जानने वाली है कि एससी-एसटी समुदाय के लोगों के लिए देश के संविधान में ही आरक्षण की सुविधा दी गई थी इसलिए उन्हें 22% आरक्षण मिला | उसके बाद ओबीसी आरक्षण के लिए देश में कई आंदोलन हुए, वीपी मंडल वाली सरकार नें 90 के दशक में 27% आरक्षण ओबीसी समुदाय को दे दिया |
उसके बाद भारत सरकार बनाम इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट नें साफ साफ़ कहा कि ” अगर आरक्षण की सीमा किसी भी राज्य में 50% से ज्यादा होता है उसे ख़ारिज कर दिया जाएगा ” |
लेकिन 2010 के एक फैंसले में कोर्ट नें फिर एक आदेश दिया कि ” सरकार चाहे तो 50% की सीमा बढ़ा सकती हैं लेकिन उसके लिए सरकार को वैज्ञानिक आंकड़े देने होंगे ” |
इसी बात को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता नें इस मराठा आरक्षण को कोर्ट में चुनौती दिया है |