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अनुराग पोद्दार को 10 लाख मुआवजा देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई बिहार सरकार, कोर्ट ने फटकारा

नई दिल्ली: पिछले साल अक्टूबर माह में मुंगेर (Munger) में दुर्गा पूजा के बाद मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई गोलीकांड मामले की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को पटना उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया। उच्चतम न्यायालय ने गोलीकांड में मारे गए 18 वर्षीय लड़के अनुराग पोद्दार के पिता को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि ‘‘यह भयावह है कि एक युवा को गोली मारी गई।’’

सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि पुलिस ने मामले की ठीक तरह से जांच नहीं की क्योंकि मुंगेर की तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सत्ताधारी दल के एक सदस्य की रिश्तेदार हैं। पिछले वर्ष 26 अक्टूबर को देवी दुर्गा की मूर्तियों के विसर्जन के दौरान हुई झड़प में गोली मारी गई थी। जिसके बाद 18 वर्षीय युवक अनुराग पोद्दार की मृत्यु हो गई थी। अनुराग की पोस्टमोर्टेम रिपोर्ट में भी मौत का कारण गोली लगना स्पष्ट हुआ था।

अनुराग के पिता अमरनाथ पोद्दार ने 6 जनवरी 2021 को पटना हाईकोर्ट में एक क्रिमिनल रिट दाखिल की था। उन्होंने मामले में सीबीआई जांच और 5 करोड़ मुआवजे की मांग की थी। उनके एडवोकेट मानस प्रकाश ने क्रिमिनल रिट में अर्जेंट हियरिंग के लिए मेंशन किया था लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जिसके बाद अनुराग की मां ने एडवोकेट अलख आलोक श्रीवास्तव के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में एक अपील की थी। इस पर 25 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट को 2 महीने में पिता की अपील पर सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया था।

पटना हाई कोर्ट ने 12 फरवरी को पहली सुनवाई में राज्य सरकार से 10 मार्च तक इस केस में जवाब मांगा था। एडवोकट मानस प्रकाश के मुताबिक SP और इस केस से जुडे़ पुलिस वालों को मुंगेर से हटाए जाने के साथ ही दो बड़े निर्देश जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की बेंच की तरफ से दिए गए हैं।

पटना हाई कोर्ट ने 7 अप्रैल को राज्य सरकार को मृतक अनुराग पोद्दार के पिता अमरनाथ पोद्दार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था। अमरनाथ पोद्दार ने अदालत से सीबीआई जांच और 5 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा, ‘‘पुलिस ने 18 साल के एक युवक को गोली मार दी थी और हम कह सकते हैं कि जिस तरह से पुलिस ने इस मामले की जांच की है, वह वाकई चौंकाने वाला है।’’ पीठ ने कहा कि उसे निर्णय और आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिलता है। पीठ ने कहा कि तदनुसार विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।

अधिवक्ता मनीष कुमार ने बिहार सरकार का पक्ष रखते हुए कोर्ट की टिप्पणियों का कड़ा विरोध किया। साथ ही उन्होंने कहा कि वह आदेश को चुनौती नहीं दे रहे हैं, लेकिन इस स्तर पर 10 लाख रुपये के मुआवजे के खिलाफ हैं, जब यह पता नहीं चल पाया है कि युवक पीड़ित था या आरोपी क्योंकि जुलूस में आग्नेयास्त्र पाए गए थे।

सीआईएसएफ ने माना था कि पुलिस की तरफ से हुई थी फायरिंग

सीआईएसएफ के मुताबिक मुंगेर पुलिस ने पहले फायरिंग की थी जिसके बाद सीआईएसएफ ने हवा में 13 फायरिंग की थी। अनुराग पोद्दार के पिता ने मुंगेर पुलिस पर आरोप लगाया कि उनके बार-बार कहने के बाद भी पुलिस उनकी एफआईआर नहीं दर्ज़ कर रही थी। उनके द्वारा डीएम को प्रार्थनापत्र लिखे जाने के बाद आरोपी पुलिस अधिकारियों पर कोई एफआईआर नहीं दर्ज़ की गयी थी। जब FIR दर्ज की गई तो नामजद FIR के बजाये मुंगेर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज कर दी है।

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